अपने तीखे और विवादित बयानों के लिए मशहूर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव की रेस में आते दिखाई दे रहे हैं. अटकलों के बीच पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से उनकी मुलाकात हुई है. 


मध्य प्रदेश में विपक्ष के नेता डॉक्टर गोविंद सिंह ने भी दिग्विजय सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि कमलनाथ ने उनसे एक दो लोगों का प्रस्तावक बनाने के लिए कहा है.


माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह जल्दी ही नामांकन कर सकते हैं. राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच हुई रस्साकसी के बाद दिग्विजय सिंह इस पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार माने जा रहे हैं. 


दिग्विजय सिंह गांधी परिवार के करीबी हैं और यूपीए शासनकाल में तो वह एक तरह से राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु कहे जाते रहे हैं. हालांकि मध्य प्रदेश में दो बार मुख्यमंत्री रह चुके दिग्विजय सिंह उन नेताओं में से एक हैं जिनके बयानों ने कांग्रेस को बहुत नुकसान पहुंचाया है. 


'जींस वाली लड़कियां मोदी से प्रभावित नहीं'
बीते साल दिग्विजय सिंह ने भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि जिन महिलाओं की उम्र 40 साल से ज्यादा है वही पीएम मोदी से प्रभावित हैं न कि जींस पहनने वाली लड़कियां. इसी कार्यक्रम में उन्होंने यह भी दावा कर डाला कि साल 2024 में अगर पीएम मोदी चुनाव जीत जाते हैं तो भारतीय संविधान बदल आरक्षण भी खत्म कर दिया जाएगा.


गाय को लेकर भी दिया विवादित बयान
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह यही नहीं रुके. उन्होंने कहा कि सावरकर ने अपनी किताब में लिखा है कि हिंदू धर्म का हिदुत्व के साथ कोई संबंध नहीं है. गाय ऐसा पशु है जो खुद के मल में लोट लेती है, वह कहां से हमारी माता हो सकती है, उसके गोमांस खाने में कोई खराबी नहीं है. आगे उन्होंने कहा कि  ऐसे भी हिंदू है जो गोमांस खाते हैं और कहते हैं कहां लिखा है गोमांस ना खाया जाए और अधिकांश हिंदू गोहत्या के ख़िलाफ़ हैं.


'बाटला हाउस एनकाउंट है फेक'
साल 2008 में दिल्ली के बाटला हाउस में हुए एक एनकाउंटर को फेक दिग्विजय सिंह ने फर्जी करार दे दिया था. इस घटना में दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर आतंकियों के साथ हुए मुठभेड़ में शहीद हो गए थे. इसके बाद साल 2013 में इसी मामले में दिल्ली की अदालत ने एनकाउंटर के दौरान पकड़े गए आतंकी को सजा सुनाई तो उस दिन भी दिग्विजय सिंह ने कहा कि वो अपने इस बयान पर कायम हैं कि एनकाउंटर फर्जी था. अगर न्यायिक जांच की गई होती तो बहुत से बातें सामने आतीं. उनके इन बयानों के बाद कांग्रेस को आज तक इस मामले में सफाई देनी पड़ती है.


राघव की गिरफ्तारी के बाद विवादित पोस्ट
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहे राघव जी पर उनके ही नौकर ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. इस मामले में मंत्री को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद ट्विटर पर राम का नाम लेते हुए एक पुराने राजनीतिक नारे का इस्तेमाल कर आपत्तिजनक बातें लिखकर शेयर कर दिया. उनके इस बयान पर बवाल शुरू हो गया. एक वकील ने इसको लेकर उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवा दी थी. 


बोधगया मंदिर में ब्लास्ट का लिंक जोड़ा पीएम मोदी से
साल 2013 में बोधगया मंदिर में आतंकियों ने बम ब्लास्ट कर दिया. दिग्विजय सिंह ने कहा, 'अमित शाह अयोध्या में मंदिर बनवाने की बात करते हैं. नरेंद्र मोदी पटना की रैली में नीतीश कुमार को सबक सिखाने की बात करते हैं. इसके अगले दिन महाबोधि मंदिर में ब्लास्ट हो जाता है. क्या इसका एक दूसरे से कोई कनेक्शन है. मुझे नहीं पता'. 


'सत्ता के दो केंद्र काम नहीं कर सके'
यूपीए सरकार के दौरान एक टीवी इंटरव्यू में दिग्विजय सिंह ने कहा कि सत्ता के दो केंद्र (तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी) ठीक से काम नहीं कर सके. इस सिस्टम को भविष्य में बदलना होगा. उनके इस बयान पर आज भी बीजेपी नेता तंज कसते हैं.


हेमंत करकरे से बातचीत की रिकॉर्डिंग
दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि मुंबई आतंकी हमले से कुछ घंटे पहले शहीद पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे ने कहा था कि उनकी जान को खतरा है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस बातचीत की रिकॉर्डिंग वो शेयर कर कर सकते हैं. उनके इस बयान पर बवाल मच गया. हालांकि दिग्विजय सिंह ने आज तक बातचीत का ब्यौरा शेयर नहीं कर सके हैं.


'ओसामा जी' वाले बयान ने कराई फजीहत
अलकायदा के आंतकी ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा, 'ओसामा जी कई सालों से पाकिस्तान में रह रहे थे. ऐसा कैसे संभव है कि पाकिस्तान में अधिकारियों को पता नहीं चला. उन्होंने यह कहा भी कहा कि अमेरिका को ओसामा बिन लादेन को सम्मानपूर्वक दफन करना चाहिए था. हालांकि बाद में दिग्विजय सिंह ने इन बयानों के पीछे मीडिया का हाथ बताया था.


इसके अलावा कई और बयान भी हैं जिन पर दिग्विजय सिंह समय-समय पर कांग्रेस के लिए असहज की स्थिति पैदा करते रहे हैं. जाहिर है अगर कांग्रेस की कमान उनके हाथ आते ही तो विरोधी इन बयानों को एक बार फिर से मुद्दा बनाएंगे.


कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव का पूरा कार्यक्रम
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए घोषित कार्यक्रम के अनुसार अधिसूचना 22 सितंबर को जारी की गई थी और नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया 24 सितंबर से आरम्भ हुई, जो 30 सितंबर तक चलेगी. नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि आठ अक्टूबर है. एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा और नतीजे 19 अक्टूबर को घोषित किये जाएंगे. 


अशोक गहलोत का अब क्या है रुख
सूत्रों के मुताबिक अब राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत पर्चा तब ही भरेगे जब गांधी परिवार से साफ सहमति और समर्थन हो. गहलोत का मानना है कि कहीं ऐसा ना हो कि कुछ और लोगों से भी पर्दे के पीछे से बात करके पर्चा भरवा दिया जाए और वो चुनाव जीत ना पाएं.