नई दिल्लीः भारत को नए साल के शुरुआत यानी जनवरी के अंत और फरवरी के शुरू में बहुत सी एंटी कोविड वैक्सीन मिलने की संभावना है. सबसे पहले फ्रंटलाइन कर्मियों जैसे डॉक्टर, नर्स और नगरपालिका स्टाफ को वैक्सीन दी जाएगी. ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि भारत सरकार, पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फॉर्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा मिलकर बनाई जा रही कोरोना वायरस की संभावित वैक्सीन के लिए आपात मंजूरी दे सकता है.


वैक्सीन निर्माताओं के साथ अनुंबध को अंतिम रूप दिया जा रहा


हालांकि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को आपातकालीन उपयोग के लिए आवेदन करने की आवश्यकता होगी, फर्म द्वारा दिसंबर में ऐसा करने की उम्मीद है. वहीं बता दें कि केंद्र, खुराक की खरीद के लिए वैक्सीन निर्माताओं के साथ एक अनुबंध को अंतिम रूप दे रहा है. एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि सरकार, थोक में वैक्सीन खरीदने जा रही है और इसके लिए बेहतर कीमत पर खरीद-फरोख्त की जाएगी.


सरकार को आधी कीमत में मिलेगी वैक्सीन


वैक्सीन की प्राइवेट मार्केट में कीमत 500 से 600 रुपये के बीच हो सकती है. बहुत ज्यादा मात्रा में डोज खरीदने पर सरकार को यह वैक्सीन आधी कीमत यानी 3 से 4 डॉलर या 225 से 300 रुपये में मिलेगी. लेकिन आम जनता को वैक्सीन के लिए 500 से 600 रुपये चुकाने पड़ सकते हैं. फिलहाल भारत सरकार वैक्सीन उपलब्ध कराने की तैयारी में हैं. इस बात के भी आसार हैं कि आने वाले समय में हर भारतवासी को कोरोना का टीका मुफ्त में मिले.

भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मिल सकती है मंजूरी


वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को चरण I और II परीक्षणों के डाटा को सब्मिट करने के बाद आपातकालीन मंजूरी मिल सकती है. नियामक सूत्रों के मुताबिक भारत बायोटेक वैक्सीन के लिए डेटा प्रकाशित करने की प्रक्रिया में है जो अब भारत में चरण 3 परीक्षणों में है. इसलिए, फरवरी तक दो टीके उपलब्ध हो सकते हैं. एक अधिकारी के अनुसार  "अगर सब कुछ योजना के अनुसार हो जाता है और कंपनी (SII) दिसंबर में आपातकालीन प्राधिकरण को सुरक्षित करने का प्रबंधन करती है, तो हम जनवरी-फरवरी तक पहले टीके की उम्मीद कर रहे हैं. इसके साथ ही  लाभार्थियों के पहले सेट की भी पहचान हो गई है."


फरवरी-मार्च तक एक से ज्यादा वैक्सीन की संभावना


यदि सीरम इंस्टीट्यूट यूके में प्रभावकारिता डेटा को सब्मिट करता है और आपातकालीन प्राधिकरण के लिए आवेदन करता है तो इसे आसानी से अनुमति दी जा सकती है. वहीं भारत बायोटेक के मामले में, यदि कंपनी फेज 1 और 2 के डाटा प्रकाशित करने के बाद आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए आवेदन करती है तो नियामक इस पर भी विचार कर सकती है. यह दर्शाता है कि फरवरी-मार्च तक एक से अधिक वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्राप्त करने की संभावना है. बशर्ते कि नियामक  क्लीनिकल ट्रायल के डाटा को संतोषजनक पाए.


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