जर्मनी के Charite-Universitatsmedizin Berlin के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि कोरोना वायरस नाक के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश कर सकता है. उनके द्वारा किए गए इस अध्ययन को नेचर न्यूरोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित किया गया है. ऐसे समय में इस अध्ययन का महत्व बड़ा माना जा रहा है. इस अध्ययन से कोविड-19 के रोगियों में देखे गए कुछ न्यूरोलॉजिकल लक्षणों की व्याख्या करने में मदद मिल सकती है.


अध्ययन के अनुसार, SARS-CoV-2 या कोविड-19 वायरस ना केवल श्वसन तंत्र बल्कि सेंट्रल नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करता है. कोरोना के संक्रमण से सांस लेने में परेशानी, स्वाद का पता ना चलना, हमेशा सिरदर्द बना रहना, थकान महसूस करना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.


कोरोना संक्रमण से मरने वाले 33 मरीजों को चुना गया


शोधकर्ताओं ने इस विषय पर गंभीरता से अध्ययन किया है. उन्होंने बताया, "हमने अपने अध्ययन के लिए कोरोना संक्रमण से मरने वाले 33 मरीजों को चुना. इन मरीजों में से 22 पुरुष थे जबकि 11 महिलाएं थीं." उन्होंने आगे बताया, "इस संक्रमण से मरनेवालों की औसत उम्र 71.6 साल थी. वहीं, उनको कोरोना संक्रमित होने से लेकर मरने तक का औसत समय 31 दिन रहा." उन्होंने साथ ही कहा, "मस्तिष्क और श्वसन नली में सार्स-सीओवी-2 आरएनए (वायरस का जेनेटिक मेटेरियल) और प्रोटीन मिले हैं. इससे आगे रिसर्च करने में बहुत मदद मिलेगी. हम अपना अध्ययन जारी रखेंगे."


विश्व में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले 


बता दें कि विश्व में कोरोना के मामलों में तेजी आ रही है. विश्व में कोरोना के कुल मामले बढ़कर  60,397,539 हो गए हैं और अब तक 1,421,352 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं, दुनियाभर में कोरोना से अमेरिका सबसे अधिक प्रभावित देश है. यहां संक्रमण के अब तक 12,777,754 मामले सामने आए हैं, जबकि मरनेवालों की संख्या बढ़कर 262,266 हो गई है.


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