रांची:  पूरा देश जिस वक्त कोरोना के खिलाफ महामारी से लड़ रहा था उस वक्त झारखंड थोड़ा सुकून में था, उसका कारण था कि झारखंड में एक भी कोरोना पॉजिटिव केस नहीं पाया गया था. लेकिन 31 मार्च 2020 की शाम को झारखंड में पहला केस सामने आया, ये मरीज तब्लीगी जमात में शामिल होकर दिल्ली के मरकज से रांची आई थी.


देश-विदेश के अलग-अलग हिस्सों से लोग दिल्ली के मरकज में तब्लीगी जमात में हिस्सा लेने के लिए आये हुए थे. जमात के बाद ये लोग भारत के अलग-अलग हिस्सों में धर्म के प्रचार के लिए चले गए, इसी कड़ी में एक ग्रुप झारखंड की राजधानी रांची आया. जिसमें कुल 27 लोग शामिल थे.27 लोगों के इस ग्रुप में कुछ महिलाएं और बाकी पुरुष थे, पुरुष रांची के मुस्लिम इलाकों के अलग-अलग हिस्सों में रुके और महिलाएं हिंदपीढ़ी के कुछ मुस्लिम घरों में रुकी. इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि कुछ विदेशी हिंदपीढ़ी इलाके में आकर रुके हुए हैं.


पुलिस ने सभी 27 लोगों को कोरोना टेस्ट के लिए खेलगांव भेजा जहां सभी को टेस्ट के बाद क्वारंटीन भी किया गया.खेलगांव में सभी लोगों की रिपोर्ट नेगिटिव आई जबकि एक महिला की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई. ये महिला वही महिला है जो मलेशिया की रहने वाली थी. ये झारखंड का पहला कोरोना पॉजिटिव मामला था. सरकार ने तुरंत इस महिला को रिम्स अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया और बाकियों को क्वारंटीन कर दिया.


आज तकरीबन हफ्ते भर बाद ही हिंदपीढ़ी इलाके से ही एक और महिला का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है. 54 वर्षीय महिला के बारे में बताया जा रहा है कि ये मलेशिया की उस महिला के सीधे सम्पर्क में थी क्योंकि इस महिला का घर मलेशिया मूल की महिला जहां रुकी हुई थी ठीक उसके 3-4 घर बाद है.


रांची में रिम्स अस्पताल औए इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर DK सिंह ने एबीपी न्यूज़ से खासतौर पर बातचीत करते हुए बताया कि मलेशिया की महिला मरकज में शामिल होकर अपने साथियों के साथ रांची आई थी यहां उसका टेस्ट पॉजिटिव आया है और उसी इलाके से एक और महिला का टेस्ट पॉजिटिव आया है. जिस महिला का टेस्ट दोबारा पॉजिटिव आया है उसकी 3 अप्रैल को जांच हुई थी.


डॉक्टर सिंह ने ये भी बताया कि मलेशिया की महिला दिल्ली से राजधानी एक्सप्रेस के कोच B1 से 16 मार्च को रांची आई और उस दिन उस ट्रेन से सफर करने वाले लोगों की लिस्ट भी प्रशासन के पास है. उस ट्रेन में उस दिन जो RPF के जवान सवार थे उन्होंने ने भी अपना टेस्ट करवाया है जो नेगिटिव है. फिलहाल हम कोरोना के खिलाफ लड़ाई जरूर लड़ रहे हैं लेकिन हमारे पास इक्यूपमेंट की भी भारी कमी है.


दरअसल दिल्ली के तब्लीगी जमात में शामिल होने के बाद ही अगर जमातियों की जांच कर आगे भेजा जाता तो काफी हद तक मामला कंट्रोल में आ सकता था. रिम्स के डायरेक्टर तक ये मानते हैं कि अगर अभी देश में मौजूद कोरोना के मरीजों में 10 फीसदी हिस्सा जमातियों की देन है. मलेशिया मूल की महिला भी झारखंड में धर्म के प्रचार के लिए आई थी लेकिन प्रचार कोरोना का हुआ.


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