Coronavirus: कोरोना वायरस ने अनजान शब्दों से कराया परिचय, बहुत ज्यादा इस्तेमाल से डिक्शनरी में मिली जगह
ऑस्ट्रेलिया में अंग्रेजी के भारी शब्द जैसे क्वारंटीन और सैनेटाइजर को हल्का कर 'क्वाज' और 'सैनी' किया गया. भाषा में नया प्रयोग करनेवाले अश्वेत समुदाय के लोगों ने कोरोना वायरस को 'मिस रोना' कहना शुरू किया. 2020 के अंत तक अनजान शब्द धीरे-धीरे डिक्शनरी की दहलीज तक पहुंच गए.
कोरोना वायरस से फैली महामारी ने जिंदगी की धारा बदलने के साथ डिक्शनरी के पन्नों को भी आगे बढ़ाने का काम किया है. 2020 की शुरुआत से धीरे-धीरे कुछ शब्द लोगों की जुबान पर चढ़ते चले गए. ये शब्द आम जनमानस में इतने ज्यादा लोकप्रिय हुए कि डिक्शनरी की दहलीज तक पहुंच गए. फिर क्या था, ऐसे शब्द जो अब तक अनजान थे, उनको डिक्शनरी में जगह मिलने लगी.
कोरोना वायरस ने अनजान शब्दों को किया परिचित
सबसे पहले बात करें कोविड-19 की, तो इस शब्द को आधिकारिक मान्यता विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से फरवरी, 2020 में मिली, जब उसने कोरोना वायरस से फैलनेवाली बीमारी को कोविड-19 का नाम दिया. कोरोना वायरस शब्द ऐसा नहीं है कि नया था बल्कि ये 1960 से मौजूद है. लेकिन महामारी ने अचानक उसे नया बना दिया. ये शब्द सबसे ज्यादा बोला और पढ़ा जाने लगा. अप्रैल से दिसंबर आते-आते 'कोविड-19' और 'कोरोना वायरस' के इस्तेमाल में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई.
साल के अंत तक ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में जोड़ने के लिए चुने गए शब्द महामारी से संबंधित रहे. सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारंटीन, आइसोलेशन, होम क्वारंटीन, ट्रांसमिशन, एंटी बॉडीज, डिसइंफेक्टेंट्स, कम्यूनिटी ट्रांसमिशन, फेस मास्क, लॉकडाउन, कंटेनमेंट जोन, सैनेटाइजर, सुपर-स्प्रेडर, फ्रंटलाइन वर्कर, जूम कॉल्स, वेबिनार, हॉटस्पॉट और आरटीपीसीआर जैसे शब्द किसी न किसी रूप में हमारी जिंदगी का हिस्सा बनते चले गए. कुछ शब्दों के संक्षिप्त नाम भी अनायास आम जनमानस का हिस्सा बन गए, जैसे डब्लूएफएच यानी वर्क फ्रॉम होम और पीपीई यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट.
जनमानस से आगे बढ़कर डिक्शनरी में बनाई जगह
अंग्रेजी के 'इन्फोडेमिक' (सूचनाओं की बाढ़) और 'एल्बो बंप' (हाथ मिलाने की जगह कोहनी टकराना) जैसे शब्द भी अन्य भाषाओं में हूबहू इस्तेमाल होने लगे. कुछ शब्द लोगों का मजाक उड़ाने के लिए भी गढ़े गए. मिसाल के तौर पर स्वास्थ्य सलाहों की अनदेखी करनेवालों को स्पेनी भाषा से 'कोविडियोटा' और 'कोरोनाबरो' बनाया गया. महामारी काल में पैदा हुए बच्चों को 'कोरोना बेबीज' के नाम से संबोधित किया जाने लगा.
मनोचिकित्सकों ने कोविड-19 की वैश्विक महामारी से जुड़ी मानसिक स्थिति के प्रति खबरदार करने के एक शब्द ‘डूम स्क्रोलिंग’ ढूंढा. मेडिकल की भाषा में डूम स्क्रोलिंग का मतलब ‘कोरोना महामारी के बारे में जानने के लिए इंटरनेट, न्यूज मीडिया, सोशल मीडिया का बार-बार और हद से ज्यादा इस्तेमाल करना और नकारात्मक प्रभाव रखनेवाली खबरों पर ध्यान देना’ बताया गया. मनोचिकित्सकों के मुताबिक ये दरअसल वैश्विक महामारी का खौफ और लगातार घरों में बंद रहने की स्थिति को दर्शाता है.