नई दिल्ली: देश जहां निर्भया के साथ हुई घटना से उबर नहीं पाया है वहीं दिल्ली के पॉश इलाके साऊथ कैम्पस में 20 साल की युवती से रेप का मामला सामने आया हैं. शिकायत के मुताबिक 14 और 15 दिसम्बर के बीच की रात को युवती एम्स के पास बस का इंतजार कर रही थी तभी एक सफेद रंग की SX4 कार रुकी और लिफ्ट दी और बाद में कार में ही रेप की वारदात को अंजाम दिया.


महिला की शिकायत के मुताबिक वो किसी तरह कार से भागने में कामयाब रही और बाइक पर जा रहे दो पुलिसवालो को आपबीती बताई जिसके बाद पुलिस ने महिला का मेडिकल कराया और आरोपी की तलाश शुरू की, जांच में पता चला कि गाड़ी कोटलामु्बारक पुर इलाके में किसी की है. इसके बाद ड्राइवर के नंबर की कॉल डिटेल्स खंगालने के बाद कल देर रात आरोपी ड्राईवर को मोती बाग़ के पास से गिरफ्तार कर लिया गया.


हैरानी की बात ये है जिस कार में इस वारदात को अंजाम दिया वो प्राइवेट नंबर कार है और कार के सामने के शीशे पर मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स कृषि भवन का स्टिकर लगा हुआ है. जांच में सामने आया है कि गाड़ी के मालिक के पिता सीआईएसएफ में है और उनकी तैनाती फ़िलहाल दिल्ली में है. ये स्टिकर कहाँ से आया, ये असली है या नकली, ड्राइवर कबसे ये गाड़ी चला रहा है इसके लिए गाड़ी के मालिक से भी पूछताछ की जा रही है.


इस शर्मनाक वारदात ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि निर्भया केस के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए जितने बड़े-बड़े वादे किए गए थे उसके लिए पुलिस और प्रशासन अभी तैयार नहीं है, हालांकि पुलिस का कहना है आरोपी को समय रहते गिरफ्तार किया गया, रात को पीड़ित को पैट्रोलिंग करते पुलिस कर्मी भी मिले इसका मतलब है पैट्रोलिंग हो रही है.


लेकिन सवाल ये कि जब ड्राइवर महिला को लेकर इधर उधर घूमता रहा तो किसी बैरिकेड पर महिला को क्यों नहीं रोका गया, पैट्रोलिंग के बावजूद किसी जगह पर ऐसी वारदात को अंजाम दिया गया जिसके बारे में पुलिस को पता नहीं चला तो ऐसी पैट्रोलिंग से लोगों को क्या फायदा होगा?


पुलिस का कहना है महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर थाने में महिला डेस्क बनाई गई है, जहां 24 घंटे महिला पुलिसकर्मी मौजूद होती है. साथ ही दिल्ली में ऐसे 44 संवेदनशील थानो की लिस्ट भी बनाई गई है, जहां महिलाओ के साथ होने वाली वारदातों की संख्या ज्यादा है और वहा पैट्रोलिंग ज्यादा बढ़ाई गई है.


निर्भया केस के बाद जहां एक तरफ इतना हंगामा हुआ था, महिलाओ के लिए दिल्ली को सुरक्षित बनाने की मांग उठी थी, युवा सड़को पर उतरे थे, लेकिन इस तरह लगातार हो रही वारदाते महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल जरूर उठाती है.