नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 30 साल के एक व्यक्ति को किसी आदमी को पीट-पीटकर मार डालने के जुर्म में दस साल की कैद की सजा सुनायी. अदालत ने यह कहते हुए उसे न्यूनतम सजा सुनायी कि उसे पुनर्वास का मौका दिया जाना चाहिए.


अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतिंदर कुमार गौतम ने मुजरिम पवन कुमार को जेल की सजा सुनाई हालांकि अदालत ने यह कहते हुए हत्या के आरोप को गैर इरादतन हत्या में तब्दील कर दिया कि उसने सोच-विचार कर उसकी हत्या नहीं की.


आईपीसी की धारा 304 (प्रथम खंड) के तहत गैर इरादतन हत्या के अपराध के लिए उम्रकैद का प्रावधान है. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुजरिम ने पहली बार अपराध किया है और वह सुधरना चाहता है. उसे आईपीसी की धारा 304 (प्रथम खंड) (गैर इरादतन हत्या) के तहत दंडनीय अपराध का दोषी ठहराया गया है और उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा है. मुजरिम को पुनर्वास और समाज की मुख्य धारा में घुलने-मिलने का मौका अवश्य दिया जाना चाहिए.’’


दिल्ली के मंडावली में 22 सितंबर, 2014 की रात को कुमार को गिरफ्तार किया गया था, उस वक्त वह एक रिक्शाचालक को पीट रहा था. कुमार ने यह कहते हुए आरोपों से इनकार किया कि पुलिस ने उन्हें गलत तरीके से फंसाया.