यूपी: 10 महीने में 1142 एनकाउंटर, 34 अपराधी ढेर, अब उठ रहे पुलिस पर सवाल
सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर लगातार एनकाउंटर्स के बाद भी कानून व्यवस्था क्यों नहीं सुधर रही? सवाल ये भी है कि क्या वाकई ये सारे एनकाउंटर असली हैं?
नई दिल्ली: नोएडा से एक फर्जी एनकाउंटर का मामला सामने आया है जिसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस सवालों के घेरे में आ गई है. जब से यूपी में बीजेपी की सरकार आई है और योगी आदित्यनाथ सीएम बने हैं तभी से यूपी पुलिस एक्शन मोड में है और ताबड़तोड़ एनकाउंटर कर रही है. सीएम खुद कई बार सार्वजनिक मंचों से पुलिस की पीठ थपथपा चुके हैं. अब ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर लगातार एनकाउंटर्स के बाद भी कानून व्यवस्था क्यों नहीं सुधर रही? सवाल ये भी है कि क्या वाकई ये सारे एनकाउंटर असली हैं?
नोएडा का मामला क्या है? जितेंद्र नोएडा के सेक्टर 122 में अपना जिम चलाते हैं. चचेरी बहन की सगाई से लौटते वक्त सेक्टर 122 की मार्केट में वह कुछ खाने लगे. दरोगा विजयदर्शन शर्मा सादी वर्दी में तीन सिपाहियों के साथ वहां पहुंचे और बहस के बाद जितेंद्र पर गोली चला दी. आरोप है कि इसके बाद पौन घंटे तक गाड़ी में उसे घुमाते रहे ताकि उसकी जान निकल जाए. बाद में सेक्टर 62 के फोर्टिस अस्पताल में उसे छोड़ कर भाग गए.
आंकडे देते हैं गवाही एबीपी न्यूज़ की रिसर्च टीम के मुताबिक 20 मार्च 2017 से 31 जनवरी 2018 तक 1142 मुठभेड़ हुई हैं. इन मुठभेड़ों में 2744 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. 265 अपराधी मुठभेड़ों के दौरान घायल हुए और 34 अपराधी इन एनकाउंटर्स में मारे गए. 247 पुलिसकर्मी भी इन मुठभेड़ों में घायल हुए जबकि 4 शहीद हो गए. इस अवधि के दौरान 1 अरब 46 करोड़ 79 लाख 49 हज़ार 779 रुपए की संपत्तियां जब्त हुईं.
हर दिन करीब 3 एनकाउंटर करीब 10 महीने में 1142 एनकाउंटर का अर्थ ये हुआ कि हर महीने 114 एनकाउंटर हुए और हर दिन करीब 3 से अधिक एनकाउंटर हुए. सबसे अधिक एनकाउंटर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुए. मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर में कई एनकाउंटर हुए और कई बदमाश भी मारे गए. इन मुठभेड़ों पर भी सवाल उठे. पुलिस ने अंकित तोमर जैसा होनहार सिपाही भी खोया.
वाहवाही के आंकडों के पीछे की स्याह हकीकत कुछ और है? समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मोहम्मद अब्बास ने कहा कि अगर एनकाउंटर में वाकई सही अपराधी मारे जा रहे हैं तो प्रदेश से अपराध खत्म हो जाना चाहिए था लेकिन उल्टे अपराध तो बढ़ता जा रहा है. साफ है कि कहीं ना कहीं पुलिस कुछ गड़बड़ कर रही है. समाजवादी पार्टी किसी अपराधी के साथ नहीं है लेकिन फर्जी एनकाउंटर्स के मुद्दे पर जल्द ही बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
बहुजन समाजवादी पार्टी के नेता चौधरी गजेंद्र सिंह ने कहा कि बहन जी की सरकार की तुलना में अपराध काफी बढ़ गया है. अखबार अपराध की खबरों से भरे हुए हैं. अगर वाकई एनकाउंटर सच्चे हैं, सही हैं तो अपराधी इस कदर बैखौफ कैसे हो सकते हैं?
सरकारी पक्ष क्या है? बीजेपी प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने बताया कि नोएडा वाला मामला फर्जी एनकाउंटर का नहीं बल्कि वाद विवाद का नतीजा है. आरोपी पुलिसवालों के खिलाफ विभागीय एक्शन लिया जा रहा है. 10 साल से प्रदेश में अपराधियों का बोलबाला था. कुंडा और जवाहरबाग जैसे कांड होते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है. 10 साल तक पुलिस दबिश देने में घबराती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है. पहले अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब अपराधी जेल के भीतर हैं और आम जनता सड़कों पर सुरक्षित है.
बीजेपी प्रवक्ता डॉक्टर चंद्रमोहन ने कहा कि अपराध कम हुआ है, चाहे तो NCRB का डाटा देख लीजिए. लेकिन जो अपराध हो रहे हैं वो इसलिए क्योंकि पिछले 15 साल में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त रहा है. जमीनों पर कब्जे, अवैध खनन और भी बहुत कुछ हुआ, लेकिन योगी सरकार में अपराधी ही डरे हुए हैं और पुलिस के हाथ खुले हुए हैं. अपराधी या तो जेलों में हैं या फिर प्रदेश छोड़ कर भाग गए हैं. अपराध में भारी कमी आई है. पुलिस की कमी है वरना अपराध को जड़ से उखाड़ फेंक दिया जाता.
पुलिस का क्या कहना है? उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया,"नोएडा वाले मामले में आरोपी पुलिसकर्मी को जेल भेज दिया गया है. कानून सभी के लिए बराबर है. हथियार बरामद कर लिया गया है. ये कोई एनकाउंटर नहीं था बल्कि उनके आपसी विवाद का नतीजा था. आरोपी पुलिसवाला भी जिम जाता था. दोनों ने ही शराब पी रखी थी. आपस में वह भिड़े और गोली चली. कई जगहों पर चल रहा है कि आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के लिए एनकाउंटर की कोशिश की गई. यह गलत बात है. साल 2014 से यूपी में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन्स बंद हैं. यह बात हर पुलिसवाले को पता है."
उन्होंने कहा,"हम नंबर बढ़ाने के लिए काम नहीं कर रहे और ना ही एनकाउंटर कर रहे हैं. ये क्रैकडाउन है. हम केवल वांछित अपराधियों को पकड़ने के लिए अभियान चला रहे हैं. पुलिस पहली गोली नहीं चलाती. अगर अपराधी हमें मारेगा तो हम क्या करें? 1142 मुठभेड़ों में हमने 4 पुलिसवाले खोए हैं, हमारे 250 पुलिसवाले घायल हैं. इसके बावजूद हम बदमाशों से टक्कर ले रहे हैं क्या ये कम है? आज चंद घंटों में हम अपराधियों को पकड़ ले रहे हैं. केस की तह तक पहुंच रहे हैं."
आनंद कुमार ने कहा,"कुछ अपराधों को रोकना संभव नहीं. हम सही जांच करें, अपराधी सलाखों के पीछे हो, यही हमारा काम है. एकतरफा प्यार में हो रहे अपराध या फिर घरेलू अपराधों को भला कैसे रोका जा सकता है? इन पर कार्रवाई की जा सकती है और वह हम कर रहे हैं. जहां तक बात अपराध कम होने की है, हम अपराध दर्ज कर रहे हैं. मुकदमा लिख रहे हैं. पुलिस में लोगों का भरोसा बढ रहा है. अब आम आदमी पुलिस थाने में आकर अपराध दर्ज करा रहा है और शायद इसीलिए मीडिया को नंबर्स बढ़े दिख रहे हैं."