पटना: देश की सुरक्षा के साथ कैसे खिलवाड़ होता है इसका खुलासा हुआ है एबीपी न्यूज के 'ऑपरेशन ठेंगे से' में.  आखिर कैसे रेलवे टिकट के लिए बन जाते हैं फर्जी आधार कार्ड जो देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं. फोटो किसी की, नाम किसी का, उम्र किसी की, पता किसी का. सिर्फ डेढ़ सौ, दो सौ रुपए के लिए देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है. बंद कमरे में नहीं, बकायदा दुकान खोलकर. लेकिन ये दुकानें पुलिस को नहीं दिख रहीं, आरपीएफ को नहीं दिख रहीं, देश की सरकार और सिस्टम को नहीं दिख रही. इसीलिए जरूरी हुआ कि 'ऑपरेशन ठेंगे' से के तहत एक ऐसे स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दें, जिससे सरकारों के कान में आवाज पहुंचे, मंत्रियों की आंखें खुलें, पुलिस और दूसरी एजेंसियों के हाथ पैर चलें और आप देश में सुरक्षित रहें.



ऐसे होता है गोरखधंधा


अंडरकवर रिपोर्टर मनोज वर्मा पटना में रेलवे स्टेशन के ठीक पास मां जगदंबा टूर एंड्र ट्रेवल्स की दुकान में पहुंचे. यहां सबसे पहले जाना कि क्या पटना से दिल्ली तक का कन्फर्म टिकट मिल जाएगा, जो रेलवे के सिस्टम में वेटिंग मिल रहा है.


देश में ट्रेन में सफर करने के दौरान सिर्फ टिकट दिखाना ही सबकुछ नहीं होता, आपको ट्रेन में टिकट के साथ अपना मान्य पहचान पत्र दिखाना होता है. पहचान पत्र ना दिखाने की स्थिति में बिना टिकट के यात्रा मानी जाती है. एक PNR पर अगर चार यात्रियों का एक टिकट कटा हुआ है तो भी चारों को पहचान पत्र दिखाना अब जरूरी हो चुका है.


लेकिन पटना में रेलवे स्टेशन के पास की दुकान में ये दलाल पुराने नियम के मुताबिक ही बता रहा था कि एक ऐसे टिकट में अंडरकवर रिपोर्टर का नाम रहेगा, जिसमें एक यात्री अपनी पहचान दिखा देगा. लेकिन हम जानना चाहता थे कि क्या रेल टिकट की कालबाजारी के साथ क्या ये फर्जी आधार कार्ड भी बना देगा? ये दलाल 150 रुपए एक्स्ट्रा लेकर फर्जी आधार कार्ड पर रेल टिकट देने के लिए तैयार था.


पटना का ये दलाल पटना से दिल्ली तक की राजधानी एक्सप्रेस में चार हजार रुपए के बदले रेल टिकट और 150 रुपए में उस टिकट में दर्ज नाम से जुड़ा फर्जी आधार कार्ड बनाने की बात हमसे कर रहा था. लेकिन इस दलाल ने हमसे दो हजार रुपए के दो नोट, यानी चार हजार रुपए लेकर ही टिकट और फर्जी आधार कार्ड देने का बात कही. इसे पैसा देने के बाद हम इंतजार करने लगे. थोड़ी देर बाद दलाल जब वापस आया तो वो देश की सुरक्षा को दांव पर लगाने का इंतजाम करके आया था.


अंडरकवर रिपोर्टर मनोज वर्मा के हाथ में अब मनीष कुमार के नाम का एक रेल टिकट आ चुका था और थोड़ी देर बाद इस दलाल ने मनोज वर्मा को एक आधार कार्ड भी दे दिया. 4 हजार रुपये में पटना से दिल्ली तक का टिकट और आधार कार्ड दोनों मिल चुके थे. अब आप सोचिए, ऐसा ही रेल टिकट और फर्जी आधार कार्ड लेकर कोई आतंकी कितनी आसानी से ट्रेन में अपनी पहचान छुपाकर बैठ सकता है. बड़ी साजिश रच सकता है. पूरी ट्रेन में बैठे हजारों यात्रियों की जान को जोखिम में डाल सकता है.



आखिर क्यों दलालों से टिकट लेने की जरूरत पड़ती है-


RailYatri.in के एक सर्वे में पता चला कि देश में रोज 10 लाख मुसाफिर ऐसे रह जाते हैं, जिनका टिकट वेटिंग में ही रह जाता है. सरकार का वादा है कि देश में 2020 तक सभी को कन्फर्म टिकट मिलेगा. कन्फर्म टिकट ना मिल पाने के कारण यात्री दलाल की सहायता लेते हैं. देश में अभी किसी भी ट्रेन में टिकट बुकिंग चार महीने पहले शुरु होती है. देश भर में दलाल रेल विभाग के कर्मचारियों और आधुनिक तकनीकों की मदद से पहले ही कई नामों से टिकट बुक करके रख लेते हैं. ज्यादातर दलाल A कुमार, B कुमार, C कुमार जैसे नामों से टिकट की बुकिंग करके रख लेते हैं. अगर आपका नाम मनोज वर्मा है तो देखेंगे कि आपको एम कुमार का टिकट दे दें. और आपके नाम का टिकट नहीं दे पाए तो किसी और टिकट पर जो नाम है उसी का फर्जी पहचान पत्र बनाने का खेल चल रहा है.