नई दिल्ली, जयपुर, अलवर: राजस्थान के अलवर में हुई उमर खान की हत्या के मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ़्तार किया है. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि हत्या में इनके साथ और कौन-कौन शामिल था. गौरतलब है कि उमर खान की हत्या उस वक्त हुई जब वह कुछ अन्य लोगों के साथ पिकअप गाड़ी में गौवंश लेकर जा रहा था. उसके परिवार का आरोप है कि हत्या गौरक्षकों ने की है.


क्या कहना है पुलिस का


पुलिस के मुताबिक जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनके नाम भगवान गुर्जर और काला गुर्जर हैं. इनके साथ चार अन्य लोग भी शामिल थे जिनकी तलाश की जा रही है. इन लोगों ने पहले उमर की हत्या की और फिर उसके शव को रेलवे पटरी पर फेंक दिया.



परिवार का पोस्टमार्टम कराने से इंकार


उमर के परिवार ने शव का पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया है. परिवार का कहना है कि जब तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता है तब तक वह पोस्टमार्टम नहीं होने देंगे. परिवार का कहना है कि उमर कभी किसी भी रूप में गौतस्करी में शामिल नहीं था. उन्होंने कहा कि गौरक्षकों ने उमर के बच्चों को अनाथ बना दिया है.


गौतस्करी के आरोप


जिस पिकअप से गौवंशों को ले जाया जा रहा था उस पर मोटरसाइकिल के नंबर लिखे हुए थे. रामगढ़ विधायक ज्ञान देव आहूजा ने तो साफ कहा कि ये लोग गौतस्कर थे जो गायों की तस्करी कर रहे थे. सवाल इस बात से भी खड़े होते हैं कि उमर के साथी जावेद और ताहिर ने मौके से भागने के बाद पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी.



'गौरक्षक नहीं बदमाश थे'


जावेद और ताहिर ने एबीपी न्यूज़ के साथ बातचीत में कहा कि 9-10 की दरम्यानी रात लुटेरों ने उन पर हमला किया था. ये लोग 9 तारीख को गाय खरीदने के लिए जयपुर गए थे. वापस लौटते वक्त बदमाशों ने इन पर हमला किया और फायरिंग में उमर की मौत हो गई जबकि जावेद और ताहिर बच निकले. लेकिन उनके बयान के बाद सवाल ये है कि अगर वारदात लुटेरों ने की तो पिकअप को रास्ते पर ही क्यों छोड़ दिया? दूसरा सवाल ये कि आखिर घटनास्थल से 10 किलोमीटर दूर शव को क्यों रेलवे पटरी पर फेंका गया?


पुलिस भी सवालों के घेरे में


पुलिस ने गौतस्करी का मामला तो तुरंत दर्ज कर लिया था लेकिन हत्या का मामला दर्ज करने में पुलिस ने खासी देर लगाई. पुलिस ने जावेद और ताहिर से पूछताछ क्यों नहीं की जबकि वे लोग हादसे से साफ बच निकले? अगर उमर पर पहले से गौतस्करी के मामले दर्ज हैं तो पुलिस ने इस पर कोई जवाब अभी तक क्यों नहीं दिया?



घटना की आलोचना


कांग्रेस ने अराजकता के लिये राज्य सरकार को दोषी ठहराया है, और सामाजिक संगठनों ने हत्यारों की गिरफ्तारी और परिजनों के लिये मुआवजे की मांग की है. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि राजस्थान में भीड़ द्वारा हिंसा एक आम बात हो गई है.


अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हत्या पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिये. इस मामले का हश्न पहलू खान के मामले जैसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने ट्वीट के जरिये कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि ऐसी घटनाओं को रोकने में सरकार पूरी तरह विफल रही है, वहीं दूसरी ओर गृहमंत्री गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं.


ऐसी हत्याओं के मामले बढ़े


देश में 2014 के बाद से ऐसी हत्याओं के मामले बढ़े हैं. कई जगहों पर गौरक्षा के नाम पर लोगों का कत्ल कर दिया गया है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा था कि गौरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.