मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने 13 साल की एक रेप पीड़िता को उसके 26 हफ्ते के भ्रूण का अबॉर्शन कराने की इजाजत दे दी. पीड़िता की उम्र और जबरन गर्भ से उसे होने वाले कष्ट पर विचार करते हुए कोर्ट ने यह अनुमति दी. कानून 20 हफ्ते के गर्भ के बाद अबॉर्शन की इजाजत नहीं देता.


बहरहाल, न्यायमूर्ति शांतनु केमकर और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की बेंच ने पीड़िता के पिता की ओर से दायर वो अर्जी मंजूर कर ली जिसमें कहा गया कि लड़की को इसलिए अबॉर्शन कराने की इजाजत दी जाए क्योंकि वे बच्चे को जन्म देने में शारीरिक तौर पर अक्षम है. बताते चलें कि 13 साल की पीड़िता के एक रिश्तेदार ने उसके साथ रेप किया था.


पिछले हफ्ते बेंच ने शहर के KEM अस्पताल के एक मेडिकल बोर्ड को निर्देश दिया था कि वो पीड़िता के स्वास्थ्य की स्थिति पर गौर करे और यह पता लगाए कि इस वक्त अबॉर्शन से उसे कोई खतरा तो नहीं होगा. बोर्ड ने कहा कि 20 साल से कम उम्र की स्थिति में जच्चा यानी माता की मौत का बड़ा जोखिम होता है.


याचिका के मुताबिक एक रिश्तेदार ने लड़की से बार-बार रेप किया. आरोपी व्यक्ति लड़की के ही घर में उसके माता-पिता के साथ रहता था. इस साल 17 नवंबर को पीड़िता के पिता ने एक FIR दर्ज कराई थी. पीड़िता की मेडिकल जांच में खुलासा हुआ था कि वह उस वक्त 24 हफ्ते की प्रेग्नेंट है.


चूंकि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट देश में 20 हफ्ते से अधिक के पेट के अबॉर्शन की इजाजत नहीं देता है, लिहाजा पीड़िता और उसके परिवार ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया.