Chennai Wife Murder: तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जहां चेन्नई की एक अदालत ने एक शख्स को पत्नी की हत्या करने के बावजूद उसको सजा में रियायत दी है. अदालत ने महसूस किया कि उसने उकसावे के बाद अपनी पत्नी कि हत्या कर दी. जब वह उसके साथ यौन संबंध बनाना चाहता था, तो उसने उसे एक तरफ धकेल दिया और कहा कि वह केवल उसी पुरुष के साथ सोएगी, जिसके साथ उसका एक्सट्रामैरिटल अफेयर्स (Extramarital Affairs) रहा है.
पत्नी की हत्या करने वाला शख्स उम्रभर जेल जाने से इसलिए बच गया क्योंकि एक निचली अदालत ने कहा कि अभियुक्त ने मृतक को गंभीर और अचानक उकसावे के कारण चाकू मार दिया. उसे नीचे धकेल दिया गया था और संभोग करने से इनकार कर दिया. साथ ही पत्नी ने कहा कि वह केवल दूसरे पुरुष के साथ ही संभोग करेगी. इसके परिणामस्वरूप झगड़ा हुआ. यह बात गंभीर और अचानक भड़काने के लिए पर्याप्त है.", बचाव पक्ष के तर्क को स्वीकार करते हुए, न्यायाधीश ने 34 वर्षीय श्रीनिवासन को आईपीसी की धारा 304 भाग 1 की हत्या (धारा 304 भाग 1) के लिए गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया, न कि धारा 302 के तहत.
हत्या के लिए न्यूनतम सजा
नतीजतन, श्रीनिवासन को 10 साल के कठोर कारावास की सजा दी गई, जो कि हत्या के लिए न्यूनतम सजा है. ,श्रीनिवासन के 12 वर्षीय बेटे, जो घटना के समय आठ वर्ष का था. बेटे के बयान ने उसकी सजा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि लड़का होस्टाइल हो गया और उसने अपनी मां अम्मू के सरवनन नाम के एक व्यक्ति के साथ संबंध के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा, उसने स्पष्ट रूप से याद किया कि उसने अपने पिता श्रीनिवासन को 27 अगस्त, 2018 की रात को उनके अन्ना नगर पश्चिम निवास पर अपनी मां को चाकू मारते हुए देखा था.
उकसावे में की हत्या
पीड़िता की मां द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद जब पुलिस जब श्रीनिवासन के घर आई तो उसने अपनी भूमिका से इनकार नहीं किया और चुपचाप पुलिस कर्मियों के साथ थाने चला गया. हालांकि, मुकदमे के दौरान, उनके वकीलों ने तर्क दिया कि श्रीनिवासन की ओर से अपनी पत्नी की हत्या करने की योजना का कोई तत्व नहीं था और यह अपराध उसके द्वारा गंभीर उकसावे के कारण हुआ. बचाव पक्ष ने दावा किया कि अपनी पत्नी के उकसाने पर उसने गुस्से में उस पर चाकू से वार कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई.
क्रूरता के आरोपों को कोर्ट ने किया खारिज
इस जोड़े की शादी 2008 में हुई थी, अभियोजन पक्ष ने यह कहते हुए व्यर्थ तर्क दिया कि उसने अम्मू के प्रति दुर्भावना पाल रखी थी और यह एक सुनियोजित हत्या थी. छतिराम पुलिस ने श्रीनिवासन पर आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या और आईपीसी की धारा 498 ए के तहत क्रूरता का आरोप लगाया था. जज ने हालांकि श्रीनिवासन के खिलाफ क्रूरता के आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने सरकार को यह भी आदेश दिया कि बच्चे को हुए आघात और उसकी मां को खोने के लिए पर्याप्त मुआवजा दिया जाए.