नई दिल्ली: चीन किसी न किसी रूप में लगातार भारतीयों को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है. इस कड़ी में सबसे ज्यादा सक्रिय हैं, चीनी ठग जो चीन में रहते हुए भी भारत के लोगों को चूना लगा रहे हैं. दिल्ली पुलिस के साउथ ईस्ट जिला पुलिस ने एक ऐसे ही गैंग का पर्दाफाश किया है, जो भारतीय लोगों को शराब और मसालों में निवेश करने के नाम पर ठगने का काम कर रहा था.


रकम चीनी ऐप के जरिए इंवेस्ट करवाई जाती, जो फिर वापस नहीं मिल पाती. इस सिलसिले में दो युवकों को गिरफ्तार किया गया है. इनकी पहचान हैदराबाद निवासी नागाराजू कर्मांची (31) और सिकंदराबाद, तेलंगाना निवासी कोनडाला सुभाष (31) के रूप में हुई है. गिरफ्तार आरोपियों ने खुलासा किया है कि ये चीन में बैठे लोगों के लिए काम कर रहे थे.


बैंकों में खुलवाते खाता


दोनों आरोपी चीनी नागरिकों के लिए एक नई कंपनी रजिस्टर करवाते, जिसमें भारतीय नागरिकों को डायरेक्टर नियुक्त करते. फिर कंपनी के नाम पर ही भारतीय बैंकों में खाते उपलब्ध करवाते थे. इन बैंक अकाउंट को चीन से ही ऑनलाइन ऑपरेट किया जाता है. दिल्ली पुलिस का दावा है कि ये गैंग 45 दिनों के भीतर करोड़ों रुपये की रकम क्रिप्टोकरेंसी और हवाला के जरिए चीन पहुंचा चुका है. ऐसा माना जा रहा है कि ये गैंग 2000 से ज्यादा लोगों से ठगी कर चुका है.


साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी आरपी मीणा का कहना है कि बदरपुर में रहने वाले वरुण शर्मा ने गृह मंत्रालय के साइबर पोर्टल पर निवेश के नाम पर 10.38 लाख की ठगी की शिकायत दी. इस बाबत 19 जून को बदरपुर थाने में मामला दर्ज हुआ. जिसमें पीड़ित ने बताया वह डेटिंग एप टिंडर के जरिए सू येओन पार्क नामक एक महिला के संपर्क में आया. इस महिला ने खुद की पहचान साउथ कोरिया के नागरिक के तौर पर दी और बताया कि वह फाइनेंस एडवाइजर है.


उसने वरुण को निवेश करने पर अच्छा रिटर्न देने का झांसा दिया. वरुण ने 5000 रुपये निवेश किए, जिसके बदले उसे अच्छा रिर्टन मिला. इसके बाद उसने चार अलग-अलग कंपनियों में कुल 10 लाख 38 हजार रुपये निवेश कर दिए. जब उसने रकम निकालनी चाही तो उसे एक और स्कीम में पैसा निवेश करने को कहा जाता. रकम न निकलने पर वह समझ गया कि उसके साथ ठगी हुई है.


आरोपियों को किया गिरफ्तार


मामले की जांच जिले के साइबर सेल को सौंपी गई. इंस्पेक्टर संदीप पंवार की टीम ने एक जुलाई को सिकंदराबाद, तेलंगाना निवासी कोनडाला सुभाष को सेक्टर-23 गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया. वह गोल्डन मार्क टेक्नोलॉजीज नामक कंपनी का एक डायरेटर था. इसके बाद नागाराजू कर्मांची को गिरफ्तार किया गया. आरोपियों ने बताया कि वे चीन में बैठे अपने आकाओं के निर्देश पर ठगी का धंधा चला रहे थे. आरोपी चीनी नागरिक सोशल मीडिया फेसबुक, व्हाट्सऐप और टिंडर जैसी वेबसाइट और ऐप से लोगों को अपने झांसे में फंसाते और फिर निवेश के लिए कहते थे.


फिर भारतीय निवेशकों से फर्जी कंपनियों के खातों में रुपये डलवाते. शुरूआत में बेहद छोटी रकम इंवेस्ट करवाते, जिसके बदले में अच्छा रिटर्न देकर उनका विश्वास जीतते. बाद में जब निवेशक मोटा निवेश करता तो फिर उसकी रकम वापस नहीं लौटाई जाती. पूछताछ के दौरान आरोपी नागाराजू ने बताया कि पिछले साल वह चीनी नागरिक वेंडी और लुओ के भी संपर्क में आया था. उसने चीनी ठगों के लिए कई फर्जी कंपनियां खोल रखी थी.


ये सामान हुआ बरामद


चीनी ठगों के कहने पर नागराजू ने सभी कंपनी के लिए डायरेक्टर रखे और उन्हें आठ-आठ हजार रुपये महीने देता था. नागाराजू को इन सब कामों के लिए एक लाख रुपये सैलरी दी जाती थी. साथ ही क्रिप्टोकरेंसी खरीदवाने के बदले दो फीसदी कमिशन भी दिया जाता था. पुलिस का कहना है कि इन दोनों आरोपियों के पास से 30 मोबाइल फोन, 7 लैपटॉप, एक कंप्यूटर, 2 हार्डडिस्क, 50 सिमकार्ड, 4 चेकबुक औक 6 डेबिट कार्ड बरामद हुए हैं. आरोपी नागाराजू ने अलग-अलग नामों से 10 फर्जी कंपनी बना रखी है. इन कंपनियों के करंट अकाउंट के जरिए ही ठगी की जा रही थी.


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