नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है, जो बड़े-बड़े मंत्रियों को अपना शिकार बनाता था. कभी किसी मंत्री का पीए बनकर तो कभी अपने आपको बड़ा नेता बताकर नेताओं और जनता से पैसा वसूलने का काम करता था. पुलिस के मुताबिक इस पर 11 केस दर्ज हैं.
गिरफ्तार किए गए 34 साल के इस शख्स का नाम संजय तिवारी है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इसे झारखंड के एक मंत्री के पीए सुशांत मुखर्जी शिकायत पर गिरफ्तार किया है.
दरअसल इसने मंत्री को फोन करके ये कहा कि चुनाव नजदीक है और पार्टी फंड के लिए पैसा चाहिए. इसके बाद इसने एक शख्स को पैसा लेने के लिए मंत्री के दफ्तर पर भेज दिया. जब मंत्री जी को उस शख्स पर शख्स हुआ तब इसकी शिकायत दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच से की गई.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इसे और इसके साथी को गिरफ्तार कर लिया है. जब इससे पूछताछ हुई तो पुलिस को पता चला कि इससे पहले भी इस पर इस तरह के 11 मामले दर्ज हैं.
साल 2005 में इसने ठगी का ये धंधा शुरु किया था और इसके बाद ये सिलसिला लगातार चलता रहा. साल 2005 में संजय तिवारी के ऊपर दो मामले दर्ज हुए. इसके बाद 2007, 2012, 2016 और अब ये एक बार फिर पुलिस की गिरफ्त में है.
क्राइम ब्रांच के मुताबिक, पूछताछ में इसने बताया है कि ये कुछ दिन तक नॉर्थ ईस्ट के एक एमपी के पास कुछ दिन उनका पीए बनकर रहा. वहीं से इसे ये काम करने का आइडिया आया. सांसद का पीए रहने के दौरान ही संजय तिवारी ने सीखा की कैसे राजनीतिक पार्टियों में पार्टी फण्ड के नाम पर पैसा लिया जाता है.
इसी जानकारी के आधार पर संजय तिवारी दूसरे राजनेताओं से उगाही किया करता था. नेताओं को ठगने से पहले भरोसा कायम करने के लिए संजय तिवारी नेताओं को पार्टी के दफ्तर में भी मुलाकात के लिए बुलाया करता था.
इतना ही नहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाधी के नाम पर भी ये उगाही कर चुका है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बताया कि ये दोनों कई नेताओं के स्टिंग करके भी नेताओं को ब्लैक मेल किया करते थे. दिल्ली क्राइम ब्रांच अब जहां इन दोनों से तो पूछताछ कर रही है तो वहीं दो और लोगों को भी दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया है. ये वो दो लोग हैं, जिनका इस्तेमाल संजय तिवारी रूपए दे करता था. क्राइम ब्रांच अब जांच कर रही है कि इस गिरोह में इन दोनों के अलावा और कितने लोग शामिल हैं. क्या कही इन दोनों के साथ इस गिरोह में कोई राजनेता भी शामिल है. इन तमाम सवालों का जवाब अब क्राइम ब्रांच ढूंढ रही है.