नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जो लोगों को लोन दिलाने के नाम पर उनसे पैसे ठग लिया करता था. यह लोग सामने वाले को झांसा देने के लिए खुद को कई वीआइपी का करीबी बताते थे और इन लोगों ने एक फार्म हाउस पर इस तरह के इंतजाम किए हुए थे, जिससे देखने वाले को ऐसा लगता था कि वह किसी वीआईपी का घर है और उनके लोन संबंधित सारी बातें हो चुकी हैं. गिरफ्तार लोगों में से एक शख्स कांग्रेस के 24 अकबर रोड स्थित कार्यालय में क्लर्क का काम करता है.
पुलिस के एक आला अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस को एक शिकायत मिली कि रितेश तिवारी नाम का एक व्यक्ति जो अपने आप को गृह मंत्री के पीएस का करीबी बताता है, उसने कई लोगों को झांसे दिए कि वह उनका रुका हुआ काम करवा देगा. जब इस सूचना के आधार पर आगे की कार्रवाई अमल में लाई गई तो दो और शिकायतें मिलीं, जिसमें यह बताया गया कि रितेश तिवारी अपने कुछ गैंग मेंबर्स की सहायता से लोगों को लोन दिलाने के नाम पर ठगी का काम भी कर रहा है. एक व्यक्ति जिसे उसने 25 करोड़ रुपये का लोन दिलाने का भरोसा दिलाया था उससे स्टैम्प पेपर के खर्चे के नाम पर उसने 12 लाख रुपये ठग लिए. उसने दिल्ली पुलिस को इस बाबत एक शिकायत दी. इसी तरह एक व्यक्ति ने यह शिकायत दी कि इसी गैंग के सदस्यों ने उन्हें भी 50 करोड़ का लोन दिलाने के नाम पर 32 लाख रुपये ठग लिए. इन शिकायतों के ऊपर केस दर्ज किए गए और जांच आगे बढ़ाई गई.
पुलिस के आला अधिकारी ने बताया कि तफ्तीश के दौरान यह पता चला की रितेश तिवारी जोकि सिविल लाइंस इलाके का निवासी है, अपने कुछ मित्रों की मदद से ठगी का काम कर रहा है. इस गैंग ने एक फार्म हाउस किराए पर लेकर वहां एक सेटअप तैयार किया. जहां बाउंसर्स रखे गए और लोगों की तलाशी के इंतजाम किए गए. जो लोग वहां लाए जाते थे, उनको यह झांसा दिया जाता था कि यह एक महत्वपूर्ण व्यक्ति का निवास स्थान है और शिकायत कर्ताओं की लोन संबंधी बातें कर ली गई हैं. उसके बाद स्टैम्प पेपर खरीदने के नाम पर उनसे कुछ पैसे ठग लिए जाते थे. जैसा कि बताया गया एक शिकायतकर्ता से 12 लाख रुपये और दूसरे शिकायतकर्ता से 32 लाख रुपये इसी तरह से ठग लिए गए. अब तक की जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने इस गैंग के 5 सदस्यों को गिरफ्तार किया है.
पुलिस के आला अधिकारी ने गिरफ्तार पांचों लोगों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रितेश तिवारी इस गैंग का सरगना है और क्लब रोड सिविल लाइंस इलाके में रहता है. रितेश खुद को लोगों के सामने एक उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करता है और लोगों को यह झांसा देता है कि उनका काम करा देगा. इस कार्य के लिए 1 फॉर्च्यूनर गाड़ी रखी हुई है. साथ में दो जिप्सी जिसमें बाउंसर पायलट और एस्कॉर्ट में चलते हैं. अजय जैन जो इसका साथी है, वह किसी वित्तीय संस्था में कार्य करता है और पिछले कुछ समय से राकेश तिवारी के साथ कार्य कर रहा है. भास्कर नाथ एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी का बेटा है और पिछले कुछ दिनों से रितेश तिवारी की गैंग में काम कर रहा है. अमन कश्यप एक प्रॉपर्टी डीलर है और पिछले 12 सालों से रितेश तिवारी से परिचित है. करीब 3 सालों से यह रितेश के साथ इस कार्य में जुड़ा हुआ है.
भीम पंडित कांग्रेस के 24 अकबर रोड स्थित कार्यालय में एक क्लर्क का काम करता है और अपने आप को कई वरिष्ठ नेताओं का करीबी बताता है. पुलिस के मुताबिक अब तक की जांच के दौरान इन लोगों के अलावा उनके कुछ अन्य साथियों के नाम भी पता चले हैं, जिनकी गिरफ्तारी अभी बाकी है. अब तक इनसे एक फॉर्च्यूनर कार, दो जिप्सी और मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं.
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