नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर दिल्ली के उस आश्रम के संस्थापक की हरकतों को ‘अत्याधिक संदेहास्पद’ बताया जहां लड़कियों को कथित तौर पर बंधक बनाकर रखा गया था. उसने सीबीआई से यह बताने को कहा कि आश्रम का संस्थापक अब कहां है और इस बारे में रिपोर्ट मांगी .


कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने पैनल के तर्क में प्रथम दृष्टया दम पाया कि आश्रम और उसका संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित वहां रहने वाली लड़कियों से उनके परिजनों के खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज करवाते थे. पैनल की नियुक्ति अदालत ने ही की थी.


पैनल ने कहा कि ऐसा लगता है कि परिजनों के खिलाफ शिकायतें इसलिए दर्ज करवाई जाती थीं ताकि वे आश्रम और दीक्षित के खिलाफ मामले दर्ज ना करवा सकें.


अदालत ने कहा कि वह किसी भी वास्तविक, कानून सम्मत और सच्ची धार्मिक गतिविधि में दखल नहीं देंगे लेकिन ‘कपटी या गैरकानूनी गतिविधि को समर्थन भी नहीं देंगे.’ अदालत गैर सरकारी संगठन फाउंडेशन फॉर सोशल एम्पॉवरमेंट की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.


आपको बता दें कि 12 नवंबर को एबीपी न्यूज़ ने अपने कार्यक्रम 'सनसनी' में दिल्ली के रोहिणी में मौजूद बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित और उसके आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के साम्राज्य का भंडाफोड़ किया था.



ABP न्यूज़ ने खोली थी बाबा की पोल
ABP न्यूज ने सबसे पहले इस ढोंगी बाबा का पर्दाफाश किया था जिसके बाद इस पर लगातार कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है. ABP न्यूज पर ही बाबा के पीड़ितों का दर्द पहली बार देश ने देखा था बाबा वीरेंद्रदेव दीक्षित के बारे में रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं. अब एक पूर्व भक्त ने दावा किया है कि अय्याश बाबा के सत्संगों में सीडी भी दिखाई जाती थी जिसमें अश्लीलता होती है.


नरेश सैनी, यौन शोषण और बलात्कार के आरोपी वीरेंद्र देव दीक्षित के आध्यात्मिक विश्वविद्यालय से 15 दिन का कोर्स कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि बाबा के सत्संगों में जो सीडी दिखाई जाती थी उसमें अश्लीलता होती थी. वीरेंद्र देव दीक्षित अपने प्रवचनों में अश्लील और आपत्तिजनक बातें बोलता है.