नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने ऐसे ठग को गिरफ्तार किया है, जिसने एक सीनियर डिप्लोमैट का ईमेल अकाउंट हैक करने के बाद उसके कॉन्टैक्ट लिस्ट में जुड़े लोगों को ई-मेल भेजकर 1 लाख 40 हजार रुपये से ज्यादा की ठगी की है. पुलिस का दावा है कि यह ठग इसी तरीके से ईमेल अकाउंट हैक करने के बाद लोगों को तरह-तरह के झूठे ईमेल भेजकर उनसे आर्थिक मदद मांगता था और अलग अलग बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करवाता था. पुलिस को इस ठग के अन्य साथियों की भी तलाश है.


पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार किए गए ठग ने अपने यहां किराये पर रहने वाले लोगों की पहचान पर अलग-अलग बैंकों में कई बैंक खाते खुलवाए हुए थे. उन्हीं के अकाउंट में ठगी की रकम मंगवाई जाती थी, ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि पुलिस इन तक पहुंच न पाए. पुलिस का कहना है कि यह शख्स अब तक करोड़ों की ठगी कर चुका है. पुलिस का दावा है कि इस ठग के साथ कुछ विदेशी हैकर भी मिले हुए हैं. इन लोगों ने कानपुर के एक व्यापारी से भी 70 लाख रुपये की ठगी की थी.


क्या है मामला
साउथ डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी अतुल ठाकुर ने बताया कि एक वरिष्ठ डिप्लोमैट की तरफ से शिकायत मिली कि उनका ईमेल अकाउंट हैक कर लिया गया है. हैकर ने उनके ईमेल अकाउंट से उनके कॉन्टैक्ट लिस्ट में शुमार कई लोगों को मेल भेजी और दावा किया कि वह आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं और उन्हें कुछ रुपयों की मदद चाहिए. उस मेल में ही बैंक अकाउंट नंबर भी भेजा गया. कई लोगों ने उस मेल पर विश्वास करके बताए गए बैंक अकाउंट में पैसा भी जमा करवा दिया, लेकिन जब उन्होंने डिप्लोमैट से उस मदद का जिक्र किया तो खुलासा हुआ कि डिप्लोमैट ने ऐसी कोई ईमेल किसी को भेजी ही नहीं.


पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच जिले की साइबर सेल पुलिस को सौंप दी. पुलिस ने पहले उस बैंक अकाउंट की डिटेल निकलवाई तो मालूम हुआ की जिस पते पर वह बैंक अकाउंट खुलवाया गया है, वहां पर ऐसा कोई व्यक्ति नहीं रहता है. पुलिस ने बैंक अकाउंट की डिटेल खंगालना शुरू किया. मोबाइल नंबर भी सामने आए, जिनमें से एक मोबाइल नंबर काफी मददगार साबित हुआ. पुलिस ने उससे एक व्यक्ति को चिन्हित किया और उसे पकड़ लिया, जिसकी पहचान शाहीन बाग निवासी अकरम के रूप में कई गई.



यह था ठगी का फार्मूला
अकरम ने दिल्ली पुलिस के सामने खुलासा किया है कि वह इस काम में अकेला नहीं है. उसके साथ अनीस नाम का एक और शख्स है, जो इस पूरे गोरखधंधे का मास्टरमाइंड है. अनीस ही हैकिंग करने और फिर तरह तरह से ईमेल भेजकर ठगने में अहम भूमिका निभाता है. अकरम का काम है फर्जी नाम पते पर बैंक अकाउंट खुलवाना और फिर अकाउंट में आई रकम को निकालकर अनीस तक पहुंचाना. इसकी एवज में अकरम को कुल रकम में से 10 से 20 प्रतिशत के बीच मिल जाता था. अभी पुलिस को अनीस की तलाश है.


कैसे करते थे ठगी
पुलिस का दावा है कि अकरम और अनीस मिलकर जो ठगी का धंधा चला रहे थे, उसमें किसी भी व्यक्ति का ईमेल अकाउंट हैक कर लिया जाता था. फिर ये लोग उस ईमेल अकाउंट के कॉन्टैक्ट लिस्ट में जितने भी ईमेल आईडी होते थे, उन पर तरह-तरह के मेल भेजते, जैसे कभी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से, कभी किसी मंत्रालय की तरफ से, तो कभी जिस व्यक्ति का इमेल अकाउंट होता था, उसकी तरफ से. कभी मेल के माध्यम से लोगों को धमकाया जाता था. कभी किसी गिफ्ट का प्रलोभन दिया जाता, तो कभी खुद को आर्थिक संकट में फंसा हुआ बता कर आर्थिक मदद मांगी जाती थी.


अपने यहां काम करने वाले और किराए पर रहने वाले लोगों की पहचान पर खुलवाए जाते थे बैंक अकाउंट
दिल्ली पुलिस का दावा है कि अकरम अपने यहां पर काम करने वाले और किराए पर रहने वाले लोगों की पहचान पर अलग-अलग बैंकों में बैंक अकाउंट खुलवाया करता था. एक व्यक्ति की आईडी पर चार से पांच बैंकों में खाते खुलवाए जाते थे. इसके लिए अकरम उन लोगों का आधार कार्ड या फिर वोटर आईडी कार्ड लेकर बैंक में खाता खुलवाता था.


बैंक में खाता खुलवाने से पहले वह आईडी में पता भी बदलवा दिया करता था. जिन लोगों के पहचान पत्र दिए जाते थे, वह लेबर क्लास या फिर गरीब वर्ग के होते थे. जब उनका बैंक खाता खुल जाता और उनके पास बैंक अकाउंट की किट आ जाती, जैसे चेक बुक, एटीएम कार्ड आदि तो अकरम उसको अपने पास रख लिया करता था और इसके बदले में हर व्यक्ति को लगभग 5000 रुपये दिया करता था. वह इन लोगों से जल्दी ही अपने घर खाली करवा लेता था या उन्हें काम से हटा दिया जाता था. मकसद यही था कि पुलिस इन लोगों तक न पहुंच पाए और उसका ठगी का धंधा चलता रहे.


ठगी करने से पहले हकीम का काम करता था अकरम
पुलिस का कहना है कि पूछताछ में अकरम ने खुलासा किया है कि वह महज दसवीं पास है. वह पहले हकीम का काम किया करता था. इलाके में लोगों को देसी दवाई उपलब्ध कराया करता था. जब वह अनीस के संपर्क में आया तो फिर उसके साथ मिलकर ठगी का धंधा करने लगा.