Delhi Crime News: दिल्ली में फिल्म 'स्पेशल 26' की तर्ज पर ही फर्जी सरकारी ऑफिस खोलकर लोगों को चूना लगाने वाले एक गिरोह का खुलासा हुआ है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने MHA में फर्जी इंस्टीट्यूट बनाकर उसमें नौकरी देने के नाम पर लोगों को ठगने वाले पूरे गिरोह को धर-दबोचा. पुलिस ने गैंग के मास्टरमाइंड आशीष चौधरी, गोविंद और अमित नाम के आरोपियों को गिरफ्तार किया है. 


पुलिस की मानें तो इस गैंग के सदस्य इतने शातिर हैं कि इन्होंने MHA के नाम पर एक फर्जी डिपार्टमेंट बनाया और उसका नाम 'डिपार्टमेंट ऑफ क्रिमिनल इंटेलिजेंस' रखा. इन लोगों ने इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय का सबसे खुफिया विभाग बता कर लोगों को निशाना बनाया. इसके बाद लोगों को झांसे में लिया गया और 5 लाख रुपए में नौकरी दिलवाने की बात कह कर नौकरी लगवाने के नाम पर ठगी शुरू कर दी.  


फेक सीक्रेट डिपार्टमेंट बनाकर ठगी


दरअसल क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली थी कि दिल्ली के जाफरपुर कला इलाके में एक MHA के नाम से एक फेक ऑफिस खोल कर लोगों को फर्जी नौकरी दी जा रही है. इसी जानकारी के आधार पर क्राइम ब्रांच की टीम ने जाल बिछाकर रेड की और 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया. क्राइम ब्रांच के मुताबिक जिस किसी भी शख्स को नौकरी का झांसा दिया जाता था तो उन्हें ये बताया जाता था कि ये डिपार्टमेंट बड़ा ही सीक्रेट डिपार्टमेंट है. 


सीक्रेट नौकरी देने का झांसा


आरोपी अपने शिकार को इसके बारे में किसी को बताने से मना कर देते थे. वे कहते थे कि आपको देश के लिए सीक्रेट ऑपरेशन करने हैं. लोगों को बताया गया था कि पहले 3 महीने की ट्रेनिंग होगी उसके बाद आपकी सैलरी आना शुरू हो जाएगी. क्राइम ब्रांच के मुताबिक, 2021 से ये रैकेट चल रहा था. क्राइम ब्रांच के स्पेशल कमिश्नर रविंद्र यादव की मानें तो इस गैंग के लोगों ने उन नौजवान लड़कों को नौकरी के झांसे में लिया जिनके पास नौकरी नहींं थी. 


पीड़ितों को फर्जी ट्रेनिंग भी दी


फर्जी ऑफिस में फर्जी ट्रेनिंग भी दी जाती थी. सभी को 9 से 6 बजे तक बुलाया जाता था. किसी को गार्ड ड्यूटी पर लगा दिया जाता था कि आज आपको गार्ड बनकर रहना है. किसी को धूप में खड़ा कर दिया जाता था ये देखने के लिए कि आप कितना टॉर्चर सह सकते हो. कितनी रिपोर्ट बना सकते हो. इतना ही नहींं ये गैंग इतना शातिर था कि इन्होंने लोगों को कहा कि बाहर निकलकर कोई किसी से बात नहींं करेगा. अपनी नौकरी के बारे में किसी को कुछ नहीं बताना है. 


मास्टरमाइंड है 10वीं फेल


ये भी बताया गया कि अगर हमें पता चला कि किसी ने इस सीक्रेट नौकरी के बारे में बाहर बताया है उसे उसी दिन नौकरी से निकाल दिया जाएगा. पुलिस के मुताबिक, लोगों ने पैसे देकर ये फर्जी नौकरी ली ,इसलिए किसी को नहींं बताया और चुपचाप ट्रेनिंग करते रहे. पुलिस की मानें तो इस गैंग का मास्टरमाइंड आशीष चौधरी 10वीं पास भी नहींं है, लेकिन वो खुद को DSP बताता था और लोगों पर ऐसा रौब दिखाता था कि उसके फर्जी होने का किसी को पता नहीं चला. 


सैलरी नहींं आने पर हुआ खुलासा


जब 3 महीने बीत जाने के बाद लोगों की सैलरी और कई महीनों तक नहीं आई, तब इस गैंग की भनक क्राइम ब्रांच को लगी. जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने रेड करने के बाद इस पूरे गैंग का पर्दाफाश किया. क्राइम ब्रांच को पूछताछ में पता चला है कि अब तक ये गैंग 11 लोगों को फर्जी नौकरी के नाम पर ठग चुका है करीब 55 लाख रुपए का चूना लगा चुका है. पुलिस की मानें तो अभी जांच जारी है आने वाले दिनों में इस मामले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं. 


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