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दिल्ली: हाईप्रोफाइल टैटू गर्ल की हत्या की मामले में 8 साल बाद आरोपी तक पहुंची पुलिस लेकिन मुर्दा मिला कातिल

हाईप्रोफाइल मर्डर केस में आठ साल से फरार आरोपी तक पहुंची पुलिस लेकिन कातिल खुद मृत हालत में मिला. दिल्ली क्राइम ब्रांच के अधिकारियों का कहना है कि इस दौरान पिछले 8 सालों में राजू गहलोत ने कभी अपने घरवालों को फोन नहीं किया. इसलिए वो पकड़ में नहीं आ सका था.

नई दिल्ली: दिल्ली के हाइप्रोफाइल टैटू गर्ल की हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस को 8 साल बाद बड़ी सफलता मिली. सुराग मिलने पर आरोपी को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस उस वक्त हैरान रह गई जब उन्हें कातिल मृत हालत में मिला. आठ साल पुराने नीतू सोलंकी मर्डर मामले में फरार आरोपी राजू गहलोत ने अपने परिवार को फ़ोन किया. पुलिस के मुताबिक ये फोन गुरुग्राम से किया गया था. पुलिस राजू गहलोत के परिवार के फोन को 8 साल से ट्रेस कर रही थी. राजू गहलोत ने अपने परिवार से कहा कि मैं बहुत बीमार हूं. मैं अब ज़िंदा नहीं बचूंगा, मुझसे मिलने गुरुग्राम के पारस अस्पताल आ जाओ. इस फोन कॉल के बाद पुलिस ने फौरन दो टीमें बनाईं और पारस अस्पताल पहुंच गई. पारस अस्पताल पहुंची पुलिस की टीम को वहां राजू गहलोत की लाश मिली. राजू गहलोत की लीवर की बीमारी के चलते मौत हो गयी थी.

क्या था पूरा मामला? दरअसल 11 फरवरी 2011 को दिल्ली पुलिस को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक संदिग्ध बैग पड़े होने की सूचना मिली थी. मौके पर पहुंची पुलिस को बैग से एक लड़की की लाश मिली. लाश के हाथ और पैर बंधे हुए थे और कमर पर मोर के पंख का टैटू बना हुआ था. काफी कोशिश के बाद करीब 15 दिन बाद लाश की पहचान दिल्ली उत्तम नगर इलाके की रहने वाली 29 साल की नीतू सोलंकी के तौर पर हुई. परिवार ने पुलिस को बताया की नीतू 2010 में ही घर से चली गयी थी और राजू गहलोत नाम के लड़के के साथ रहती थी. दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ कर चुकी नीतू सोलंकी आईबीएम कॉल सेन्टर में काम कर चुकी थी. इतना ही नहीं वो निगम पार्षद का चुनाव भी लड़ चुकी थी.

जांच के दौरान पुलिस नीतू सोलंकी के उस घर पहुची जहां वो राजू के साथ रह रही थी. राजू और नीतू हरि नगर और आश्रम में अलग अलग मकानों में किराए पर रहे थे. उसने हरि नगर में अपना एक सुरेंद्र पाल सिंह नाम का फ़र्ज़ी पहचान पत्र भी बनवाया था. इस दौरान नीतू अपने घरवालों से इंटरनेट कॉलिंग या वेबकेम के जरिए बात करती थी. हत्या के एक दिन पहले भी उसने अपनी बहन को बताया कि उसके सर में चोट लगी है. काफी ढूंढने के बाद भी पुलिस को राजू गहलोत का कुछ पता नहीं चल पाया था.

2 मार्च 2011 को हुई थी पहली गिरफ्तारी पुलिस ने हत्या के इस केस में पहली गिरफ्तारी 2 मार्च 2011 को की थी. पुलिस ने राजू गहलोत के चचेरे भाई नवीन शौकीन को गिरफ्तार किया था. नवीन ने बताया कि राजू और नीतू का अक्सर झगड़ा होता था. 11 फरवरी को उसने गुस्से में आकर आश्रम वाले घर में नीतू की हत्या कर दी. उसके बाद नवीन को कार लेकर बुलाया था. साथ ही ये भी बताया था की उसने नीतू की गला रेतकर हत्या कर दी है. लेकिन नवीन गाड़ी लेकर नहीं आया और ना ही उसने पुलिस को इस बारे में जानकारी दी.

6 महीनों तक क्राइम ब्रांच से लेकर स्पेशल सेल करती रही राजू की तलाश हत्या के बाद क्राइम ब्रांच की टीमें 6 महीने तक उसकी तलाश में लगातार छापेमारी करती रहीं. राजू मुंबई, गोवा और दूसरे शहरों में भागता रहा. उसने इस दौरान 20 से ज्यादा मोबाइल प्रयोग किए लेकिन एक मोबाइल एक बार मे प्रयोग कर किसी दूसरे को बेच देता था. पुलिस ने उसकी तलाश में 150 से ज्यादा बार छापेमारी की. कई कॉल सेंटरों में भी उसकी तलाश की लेकिन राजू गहलोत का सुराग नहीं लग सका.

8 साल बाद राजू ने किया अपने परिवार को फ़ोन आखिरकार 8 साल बाद राजू ने अपने परिवार को फ़ोन किया जिसके बाद पुलिस की टीम गुरुग्राम पहुंची. जांच में पता चला कि वो कई शहरों की खाक छानने के बाद गुरुग्राम आ गया. यहां उसने अपना नाम बदलकर रोहन दहिया रख लिया और अपने सभी दस्तावेज भी उसी नाम से बनवा लिए. इन्हीं दस्तावेजों के जरिये उसने एक बड़ी कंपनी कोचर ऑटोमोबाइल्स में नौकरी हासिल कर ली. वो पिछले 8 सालों से कंपनी में रिपोर्टिंग ऑफिसर के पद पर था. इस दौरान कंपनी में किसी को उस पर शक नहीं हुआ.

क्राइम ब्रांच के अधिकारियों का कहना है कि इस दौरान पिछले 8 सालों में राजू गहलोत ने कभी अपने घरवालों को फोन नहीं किया. इसलिए वो पकड़ में नहीं आ सका था. मंगलवार को जब उसने मौत से पहले आखिरी बार मां को फोन किया तब पुलिस उस तक पहुँची लेकिन पुलिस के पहुँचने से पहले उसकी मौत हो चुकी थी.

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