नई दिल्ली: दिल्ली दंगों के आरोपियों का एक और कारनामा सामने आया है. एक मुख्य आरोपी ने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर जमानत लेने की कोशिश की थी. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में राजधानी स्कूल के मालिक फैज़ल फारूकी उसकी पत्नी समेत डॉक्टर वकील और दलाल के खिलाफ विभिन्न अपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है, दिलचस्प यह है कि जिस डॉक्टर का नकली मेडिकल सर्टिफिकेट लगाया गया था, उस डॉक्टर को दिल्ली मेडिकल काउंसिल 1 साल के लिए निलंबित कर चुका था.
फैजल फारूक ने अपनी पत्नी के नाम पर फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाया, जिसमें बताया गया था कि उसकी पत्नी का रसोली का ऑपरेशन होना है, लिहाजा तत्काल उसकी अंतरिम जमानत मंजूर कर ली जाए. दिल्ली दंगों में गिरफ्तारी होने के बाद से कोर्ट दो बार फैज़ल फारूकी की जमानत याचिका कैंसिल कर चुका था. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब फैज़ल फारूकी की तरफ से कोर्ट में 'most extreme urgency case' के तौर पर एक जमानत याचिका लगाई गई. इस जमानत याचिका के साथ विभिन्न मेडिकल प्रमाणपत्र भी दिए गए थे. साथ ही डॉक्टर गजेंद्र नायर नाम के डॉक्टर का एक मेडिकल सर्टिफिकेट भी था. कोर्ट इन दस्तावेजों की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को निर्देश दिए.
दिल्ली पुलिस की एफआईआर में जांच अधिकारी कहता है कि जब उसने इन दस्तावेजों की जांच के लिए डॉक्टर गजेंद्र से संपर्क किया तो डॉक्टर गजेंद्र ने उससे साफ तौर पर इस मामले में कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया और जब वह डॉक्टर गजेंद्र के नर्सिंग होम इस बाबत जानकारी लेने पहुंचा तो पता चला कि नर्सिंग होम ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव वाले रोड पर है और उस नर्सिंग होम में फैजल की पत्नी का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध ही नहीं था.
दिलचस्प यह भी है कि फैज़ल फारूकी की पत्नी दिल्ली के यमुना विहार इलाके में रहती है, जबकि नर्सिंग होम वहां से बहुत दूरी पर था और दिल्ली में उससे ज्यादा मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध थीं. पुलिस ने जब डॉक्टर गजेंद्र के बारे में और जानकारी जुटाई, तो पता चला कि डॉक्टर का लाइसेंस दिल्ली मेडिकल काउंसिल पिछले साल ही 1 साल के लिए निलंबित कर चुकी थी. दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ गिरीश त्यागी के मुताबिक डॉक्टर गजेंद्र के खिलाफ दो बार कार्रवाई की गई थी. पहली बार में उसकी प्रैक्टिस 6 महीने के लिए निलंबित की गई थी और दूसरी बार में उसका लाइसेंस 1 वर्ष की अवधि के लिए निरस्त कर दिया गया था. यह अवधि नवंबर 2020 तक लागू थी.
इसके बाद पुलिस ने डॉक्टर गजेंद्र नायर को पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच के ऑफिस बुलाया तो, वहां उसने कबूल किया कि वह इसके पहले भी अनेक लोगों को जमानत दिलाने के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बना चुका है. साथ ही उसने यह भी कबूल किया कि फैज़ल फारूकी की पत्नी को उसने नहीं देखा. उसके पास एक दलाल बुर्के में एक औरत को लेकर आया था और उसे यह बताया गया था कि उसकी पति की जमानत के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाने हैं और उसने एक दिन में ही सारा रिकॉर्ड बना दिया था.
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में डॉक्टर, वकील और दलाल समेत फैजल और उसकी पत्नी के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है. ध्यान रहे कि फैज़ल फारूकी के संबंध पीएसआई समेत अनेक कट्टरवादी संगठनों से मिले और उसके संबंध मौलाना साद की जमात से भी बताए जाते हैं. यह भी आरोप है फैज़ल फारूकी की आड़ में मौलाना साद की जमात ने सैकड़ों करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी है, जिसका कर्ता-धर्ता फैसल ही है. दिल्ली दंगे के आरोपियों द्वारा एक के बाद एक की जा रही हरकतों से यह साफ है कि इस दंगे के पीछे अनेक प्रभावशाली लोगों का हाथ है, जो अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए जान से मारने की धमकी देने के अलावा फर्जी दस्तावेज बनवाने से भी नहीं चूक रहे.
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