नई दिल्ली : अपनी ही मासूम भतीजी से दुष्कर्म का आरोपी शख्स अदालत में खड़ा था. सुनवाई चल रही थी और उसके वकील की दलील थी कि उसके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है. अदालत भी सबूतों को खंगाल रही थी लेकिन, इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि पूरा मामला ही पलट गया. जज ने भी आरोपी को पांच साल की सजा सुना दी.


10 साल की पीड़िता ने ही अदालत में एक 'स्केच' बनाया


दरअसल, 10 साल की पीड़िता ने ही अदालत में एक 'स्केच' बनाया. जिसे देखकर जज ने उसकी मानसिक स्थिति का आंकलन किया. इसके साथ ही पूरे घटनाक्रम को बैकग्राउंड में रखते हुए स्केच को पुख्ता सबूत माना. इसी के आधार पर आरोपी अख्तर अहमद को पांच साल की सजा सुना दी.


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व्यस्त रखने के लिए कागज और क्रेआन्स (कलर पेंसिल) दी गई थी


सुनवाई के दौरान पीड़ित मासूम को व्यस्त रखने के लिए कागज और क्रेआन्स (कलर पेंसिल) दी गई थी. स्केच में बच्ची ने एक घर और बैलून ली हुई बच्ची का चित्र उकेरा. इसके साथ ही कपड़ों को अलग से दिखाया. यही नहीं बिखरे बाल और धुंधले रंगों का प्रयोग उसने सबसे ज्यादा किया.


मनोवैज्ञानिक परीक्षण के दौरान भी लोगों से इस तरह के चित्र बनवाए जाते हैं


गौरतलब है कि मनोवैज्ञानिक परीक्षण के दौरान भी लोगों से इस तरह के चित्र बनवाए जाते हैं. इनके आधार पर मनोवैज्ञानिक, लोगों की मानसिक स्थिति का आंकलन कर पाते हैं. पीड़ित बच्ची के चित्र को देखकर जज समझ गए कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है.


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इसके साथ ही उसने अपने पर बीती यातनाओं को उकेरा है


इसके साथ ही उसने अपने पर बीती यातनाओं को उकेरा है. यह दर्द वही है जिसे लेकर उसने बयान भी दिए हैं. जबकि आरोपी के वकील ने कहा था कि लड़की को बयान रटाया गया है. पीड़िता के स्केच को सबूत के तौर पर दाखिल किया गया है. इस अनोखे 'सबूत' को लेकर काफी चर्चा है.