नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के एक अनुसूचित जाति के छात्र के साथ पुलिस की ज्यादती का मामला सामने आया है. पीड़ित छात्र प्रमोद कुमार का आरोप है कि पुलिस ने उसके लिए जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया और उसे खूब पीटा. मामले के सामने आने के बाद विश्वविद्यालय के छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों के प्रदर्शन के बाद पुलिस ने एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला तो दर्ज कर लिया है, लेकिन छात्रों का आरोप है कि इसमें आरोपी कांस्टेबल दुष्यंत कुमार और एसएचओ एमपी सैनी के नाम दर्ज नहीं हैं.


दरअसल, ये मामला 25 अगस्त का है. दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी में पढ़ने वाले एक छात्र के भतीजे को दिल्ली पुलिस ने किसी मामले में गिरफ्तार किया था. छात्र का कहना है कि इस बात की जानकारी लेने जब वह आदर्श नगर थाने पहुंचे तो पुलिस ने उसे पीटा. पीड़ित छात्र ने मामले के बारे में एबीपी न्यूज़ को बताया कि पुलिस ने उसे हथकड़ियों और जंजीरों से बांध कर पीटा और इतने में भी जब पुलिस को संतुष्टि नहीं मिली तो उसे नंगा कर उसके गुप्तांगों पर डंडे से मारा गया.


पीड़ित छात्र का बयान 


पीड़ित छात्र पूरे मामले को बताते हुए कहते हैं, ''25 अगस्त को मेरे भतीजे ने थाने से फोन किया कि उसे थाने में बंद कर दिया गया है. इसके बाद प्रमोद थाने पंहुचे और अपने भतीजे अरुण के बारे में जानकारी मांगी. पुलिस वाले बताया कि इस नाम का कोई व्यक्ति यहां नहीं है. इसके कुछ ही देर बाद पुलिस की एक गाड़ी आती है जिसमें 5 लोग सवार थे. इसमें तीन लोगों को हथकड़ी और जंजीरों से बांधा गया था. मेरा भतीजा भी इनमें से एक था. इसके बाद मैंने पुलिस से पूछा कि आपने मेरे भतीजे को किस जुर्म में गिरफ्तार किया है. मैं इसका चाचा हूं और लॉ का छात्र भी हूं. इतना सुनते ही पुलिस वाले गुस्सा हो गए और मुझे पीटने लगे.''


एसएचओ पर ज्यादती का आरोप 


पीड़ित छात्र ने कहा, ''एसएचओ ने मुझे धमकी दी कि अगर तुमने किसी को भी यह बताया कि तुम्हारे साथ मारपीट की गई है तो तुम्हें आर्म्स एक्ट के तहत अंदर करवा दूंगा और फिर एनकाउंटर करवा दूंगा. मुझसे लिखवाया गया कि मैं पूछताछ के लिए थाने आया था और मेरे साथ कोई मारपीट नहीं की गई है और मैं ठीक अवस्था में घर वापस जा रहा हूं.''


इस घटना के सामने आने के बाद से विश्वविद्यालय के छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों लगातार आदर्श नगर थाने को घेर कर वहां प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि प्रमोद को पीटने वाले पुलिसकर्मियों में कांस्टेबल दुष्यंत को छोड़कर सभी सिविल ड्रेस में थे. छात्रों ने कहा कि पीड़ित छात्र जब मदद के लिए एसएचओ के पास गया तो उसे और मार पड़ी. एसएचओ ने पुलिस कर्मियों के सामने ही कहा कि इसे आर्म्स एक्ट, चेन स्नैचिंग और अन्य पुराने मामलों में फंसा कर अंदर कर दो.


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