Charge Sheet Against Vivekanand Shankar Patil: प्रवर्तन निदेशालय ने पनवेल, मुंबई के करनाला नगरी सहकारी बैंक लिमिटेड और उसके पूर्व अध्यक्ष विवेकानंद शंकर पाटील के खिलाफ आरोपपत्र कोर्ट के सामने पेश किया है. आरोपपत्र में विवेकानंद शंकर पाटील पर 67 फर्जी खातों के जरिए 560 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी का आरोप है. विवेकानंद शंकर पाटील चार बार विधायक भी रह चुके हैं. उन्हें ईडी ने 15 जून 2021 को इस मामले में गिरफ्तार किया था.
ईडी के एक आला अधिकारी के मुताबिक साल 2019 में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने जो एफआईआर दर्ज की थी उसके आधार पर ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी. साल 2019-20 में रिजर्व बैंक के कहने पर करनाला नगरी सहकारी बैंक लिमिटेड पनवेल मुंबई के खिलाफ ऑडिट कराया गया था. इस ऑडिट के दौरान पता चला था कि बैंक के तत्कालीन चेयरमैन विवेकानंद शंकर पाटील फर्जी खातों के जरिए उक्त बैंक से रकम निकालकर करनाला चैरिटेबल ट्रस्ट और करनाला स्पोर्ट्स अकादमी मैं पैसे डाल रहा था. आरोप है कि यह दोनों संस्थान पाटिल द्वारा ही बनाए गए थे और वही इनका नियंत्रण करता भी था.
फर्जी खातों के माध्यम धोखाधड़ी
इस जांच के दौरान यह भी पता चला कि यह धोखाधड़ी साल 2008 से ही चल रही थी. ईडी के आला अधिकारी के मुताबिक इस मामले में पीएमएलए के तहत की गई जांच के दौरान पता चला कि धोखाधड़ी 67 फर्जी खातों के माध्यम से की गई और यह धोखाधड़ी लगभग ब्याज समेत 560 करोड़ रुपये की थी. धोखाधड़ी को छिपाने के लिए अलग-अलग खातों के जरिए यह पैसा पाटिल के जरिए स्थापित नियंत्रित संस्थाओं के कई बैंक खातों में भेज दिया गया था. इस पैसे का उपयोग करनाला चैरिटेबल ट्रस्ट, करनाला स्पोर्ट्स अकादमी आदि संस्थाओं के जरिए स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, कॉलेज और स्कूल जैसी संपत्ति निर्माण के लिए और अन्य व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया था.
जांच के दौरान यह भी पता चला कि इस पूरे मामले में पैसे को अनेक भागों में इधर से उधर किया गया था, जिससे धोखाधड़ी का पता ना चल सके. ईडी ने इस मामले में विवेकानंद शंकर पाटील को इसी साल जून महीने में गिरफ्तार कर लिया था और गिरफ्तारी के बाद की गई जांच के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित अनेक तथ्य उजागर हुए थे. जिसके बाद ईडी ने आज इस मामले में आरोपपत्र कोर्ट के सामने पेश कर दिया. मामले के कई पहलुओं की जांच अभी भी जारी है.
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