अमेरिकी नागरिकों से ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, तीन मालिक समेत 7 गिरफ्तार
पश्चिमी जिले की डीसीपी उर्विजा गोयल ने बताया कि साइबर सेल को सूचना मिली कि तिलक नगर के गणेश नगर इलाके में फर्जी कॉल सेंटर चलाया जा रहा है. पुलिस ने सूचना के आधार पर मौके पर दबिश दी.
नई दिल्ली: पश्चिमी दिल्ली के साइबर सेल ने तिलक नगर इलाके में चल रहे एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने इस कॉल सेंटर को चलाने वाले तीन मालिकों समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान गौरव (24), अमित आनंद (46), अजनीश राणा (37), आर्यन सक्सेना (21), योगेश प्रसाद (28), नवीन कुमार (22) और अमनप्रीत कौर (24) के रूप में की गई है.
इनमें गौरव, अमित आनंद और अजनीश मालिक हैं, बाकी सब कर्मचारी है. आरोप है कि ये कॉल सेंटर अमेरिका के नागरिकों को ठग रहा था. ये लोग खुद को अमेजन की तकनीकी टीम का हिस्सा बताते थे. कॉल करके लोगों को डराया जाता कि उन लोगों ने संदिग्ध ट्रांजैक्शन की है. अगर बचने का रास्ता चाहते हैं तो उनके बताए अनुसार काम करें. जिसके बाद ये लोग उनके मोबाइल या फिर लैपटॉप या कंप्यूटर का एक्सेस पा लेते थे और फिर उनके बैंक डिटेल्स, क्रेडिट कार्ड का डिटेल आदि चुराने के बाद उन्हें मोटा चूना लगा रहे थे. पुलिस को आशंका है कि इन लोगों ने अमेरिकी नागरिकों से करोड़ों रुपये की हेराफेरी की है. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है.
क्या है मामला?
पश्चिमी जिले की डीसीपी उर्विजा गोयल ने बताया कि साइबर सेल को सूचना मिली कि तिलक नगर के गणेश नगर इलाके में फर्जी कॉल सेंटर चलाया जा रहा है. पुलिस ने सूचना के आधार पर मौके पर दबिश दी और वहां से कुल 7 लोगों को गिरफ्तार किया. जिस परिसर में दबिश दी गई थी, वहां पर बकायदा कॉल सेंटर का सेटअप किया गया था. पूछताछ में इन लोगों ने खुलासा किया कि वे वीओआईपी तकनीक के माध्यम से कॉल करते थे.
इनके टारगेट पर अमेरिका के नागरिक रहते थे. ये लोग खुद को अमेजन का कर्मचारी बताकर उन्हें धमकाते थे कि तुम लोगों ने संदिग्ध ट्रांजैक्शन की है. कॉल ऑटोमेटेड यानी की प्री-रिकॉर्डिंग कॉल होती थी. दूसरे मायनों में रोबोटिक कॉल भी कह सकते हैं, जिसमें पहले से ही मैसेज रिकॉर्ड हो जाता है. फिर उन नागरिकों को यह बताया जाता था कि अगर वे बचना चाहते हैं, तो अपने कंप्यूटर या मोबाइल या लैपटॉप का एक्सेस उन्हें दें. जिसके बाद ये लोग सॉफ्टवेयर के माध्यम से उनके कंप्यूटर लैपटॉप या फिर मोबाइल को यहां बैठे-बैठे ऑपरेट करते थे.
उनसे झूठ बोलकर ट्रांजैक्शन करवाई जाती और इस बीच में उनके बैंक क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड की जानकारियां भी चुरा ली जाती थी, क्योंकि ये लोग वीआईपी तकनीक का इस्तेमाल करते थे. इसकी वजह से इनकी कॉल भारत के कम्युनिकेशन गेटवे के माध्यम से नहीं जाती थी और यही वजह भी थी कि यह किसी भी व्यक्ति से पैसा लेने के बाद अपने उस नंबर को बंद कर देते थे. वह व्यक्ति न तो उस नंबर पर दोबारा कॉल बैक कर सकता था और न ही उसे ट्रेस कर सकता था. पुलिस का कहना है फिलहाल जांच चल रही है आशंका जताई जा रही है कि इन लोगों ने बहुत बड़ी संख्या में यूएस के नागरिकों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है.
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