नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो 10 हज़ार से लेकर एक लाख रुपये में 10वीं से लेकर एमबीबीएस की फर्जी डिग्री और मार्कशीट बनाता था. इस गैंग के बारे में पुलिस को तब पता चला जब एक शख्स ने इस गैंग के बारे में पुलिस को शिकायत दी.
दरअसल राजस्थान के रहने वाले एक शख्स ने हरी नगर थाने में इस फर्जीवाड़े की शिकायत की. उस शख्स ने पुलिस को बताया कि उसने अपना सर्टिफिकेट बनवाया था. जब उसने पासपोर्ट के लिए अप्लाई किया और सर्टिफिकेट लगाया तो उसे पता चला कि वह फर्जी है.
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की. पुलिस को पता चला कि ये रैकेट दिल्ली के हरि नगर के एक फ्लैट से चल रहा है. पुलिस ने फ्लैट पर छापा मारा और यहां से पंकज नाम के शख्स को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने जब पंकज से पूछताछ शुरू की तो उसने बताया कि वह अकेला इस फर्जीवाड़े में शामिल नहीं है, बल्कि उसके गैंग में और भी मेंबर हैं. पंकज ने बताया कि ये काम ये गैंग पिछले तीन सालों से कर रहा है. यह गैंग तीन साल में तकरीबन 40 हज़ार फर्जी डिग्रियां बेच चुका है.
पंकज ने पूछताछ में खुलासा किया कि ये फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट पंजाब में छापी जाती हैं. ये काम पवित्र सिंह नाम का शख्स करता था. इसके बाद पवित्र की तलाश शुरू की गई और उसे भी धरदबोचा गया. पवित्र सिंह ने पुलिस को बताया कि गोपाल कृष्ण नाम के एक शख्स की प्रिंटिंग प्रेस में ये मार्कशीट और डिग्री छापी जाती है. पुलिस ने फिर गोपाल के लिए जाल बिछाया और उसे भी गिरफ्तार कर लिया.
जब इन तीनो से सख्ती से पूछताछ की गई तो बहुत से चौकाने वाले खुलासे हुए. पुलिस को 27 फर्जी यूनिवर्सिटी, स्कूल और कॉलेज की वेबसाइट के बारे में पता चला. ये गैंग इतना शातिर है कि जिस भी शख्स को डिग्री देते थे, उसे फ़र्ज़ी वेबसाइट पर अपलोड भी कर देते थे. जब वो शख्स उसे वेबसाइट पर चेक करता था उसे लगता था कि ये डिग्री सही है.
जांच में ये भी बात सामने आई कि इस गैंग के 30 से ज्यादा एकाउंट अलग-अलग बैंकों में हैं और ये गैंग इन तीन सालों में करोड़ों रुपए इस फर्जीवाड़े से कमा चुके है. दरसअल ये गैंग अपने शिकार को फ़साने के लिए अखबार में अपना ऐड भी देते थे. यहीं से लोग इनके झांसे में फंस जाते थे. अब पुलिस इस गैंग के बाकी सदस्यों की तलाश में जुटी है.