नई दिल्ली/भोपाल: मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2020 (M.P. Freedom of Religion Bill, 2020) के तहत पहला मामला दर्ज किया गया है. मध्यप्रदेश के बड़वानी में यह एफआईआर हुई है. इसी के साथ अधिनियम की धारा 3/5 के तहत भोपाल में भी एक ऐसा ही मामला दर्ज किया गया है. साथ ही इस मामले में IPC की धाराएं भी लगाई गईं है. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और तफ्तीश की जा रही है.


एएसपी जोन-2, भोपाल राजेश सिंह भदोरिया ने जानकारी दी कि एक महिला की शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई है. उसने आरोप लगाया है कि उसका जबरन धर्म परिवर्तन किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि मामले की तह तक जाने की कोशिश में पुलिस लगी हुई है.


गौरतलब है कि इस विशेष अधिनियम के तहत दर्ज होने वाला पहला मामला बड़वानी जिले का है. लेकिन, अब राज्य की राजधानी सहित अन्य जिलों में भी केस आ रहे हैं. कानून के तहत अगर दोष साबित हो जाता है तो इसमें 10 साल की सजा का प्रावधान है. इस अधिनियम के तहत सख्त कानून बनाया गया है.


जानें मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2020-


- यह एक नया अधिनियम है और इसमें कई सारे नए प्रावधान किए गए हैं
- कोई भी व्यक्ति प्रलोभन, धमकी, विवाह या किसी अन्य जरिए से धर्म परिवर्तन नहीं करा सकता
- कम से कम एक वर्ष और अधिकतम 5 वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है
- महिला/नाबालिग/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के धर्म संपरिवर्तन किए जाने पर कम से कम 2 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की सजा
- अपना धर्म छिपाने या गलत सूचना देने पर कम से कम 3 और अधिकतम 10 वर्ष की सजा
- सामूहिक धर्म परिवर्तन करने पर कम से कम 5 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की सजा
- पैतृक धर्म में वापसी को इस अधिनियम में धर्म संपरिवर्तन नहीं माना गया है. पैतृक धर्म वह माना गया है जो व्यक्ति के जन्म के समय उसके पिता का धर्म था


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