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3 करोड़ के प्रॉपर्टी विवाद के चलते की गई बुजुर्ग की हत्या, दोस्त ने रची थी साजिश

क्राइम ब्रांच के मुताबिक किडनैपिंग और हत्या का मास्टरमाइंड बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा का दोस्त डॉक्टर ऋषिपाल चौहान है. साल 2009 में दोनों की दोस्ती में दरार आ गई थी.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के पॉश ग्रेटर कैलाश इलाके में एक बुजुर्ग की किडनैपिंग के बाद हत्या का मामला सामने आया है. 64 साल के बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा टेलीविजन बनाने वाली मशहूर कंपनी Televista के मालिक के बेटे थे. पुलिस के मुताबिक अरुण कुमार शर्मा की हत्या प्रॉपर्टी विवाद को लेकर की गई, इस मामले में पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है जिसमें से एक बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा का दोस्त है.

15 नवंबर को अरुण कुमार शर्मा कैलाश कॉलोनी के अपने घर से गुरुग्राम जाने के लिए निकले. उन्हें गुरुग्राम में अपने वकील से मिलना था. जैसे ही वह कैलाश कॉलोनी मेट्रो स्टेशन पर पहुंचे पहले से घात लगाए बदमाशों ने स्कॉर्पियो कार में उनका अपहरण कर लिया. इसके बाद जब अगले दिन तक अरुण कुमार शर्मा घर नहीं पहुंचे तो परिवार ने इस बात की जानकारी पुलिस को दी. पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की. लोकल पुलिस जांच करती रही लेकिन पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा. इसके बाद इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच को दी गई.

क्राइम ब्रांच ने अब इस मामले को सुलझाने का दावा किया है और 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. क्राइम ब्रांच के मुताबिक किडनैपिंग और हत्या का मास्टरमाइंड बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा का दोस्त डॉक्टर ऋषिपाल चौहान है. जिसने अपने बेटे हितेश और अन्य साथियों अन्य साथियों के साथ मिलकर एक प्रॉपर्टी विवाद की वजह से अपने ही दोस्त को मौत के घाट उतार दिया.

साल 2009 में दोनों की दोस्ती में दरार आई

दरअसल, अरुण कुमार शर्मा और ऋषिपाल चौहान में पुरानी दोस्ती थी. दोनों एक दूसरे को पिछले काफी समय से जानते थे. दिल्ली के कैलाश कॉलोनी में रहने से पहले अरुण कुमार शर्मा गुरुग्राम में रहते थे और ऋषिपाल के साथ मिलकर ही बिजनेस करते थे. साल 2009 में दोनों की दोस्ती में दरार आ गई और अरुण कुमार शर्मा गुरुग्राम से दिल्ली की कैलाश कॉलोनी में शिफ्ट हो गए. गुरुग्राम के जिस घर में ऋषिपाल रहता था वो प्रॉपर्टी अरुण कुमार शर्मा की ही थी. इस प्रॉपर्टी की कीमत 3 करोड़ रुपये थी. इस घर में ऋषिपाल का क्लीनिक भी था और वो एक PG भी चला रहा था. दोस्ती में दरार आने के बाद अरुण शर्मा ने अपनी प्रॉपर्टी वापस मांगी बस यही से ये विवाद और बढ़ता चला गया.

आरोपी डॉक्टर ऋषिपाल ने प्रॉपर्टी देने से इंकार कर दिया, तब अरुण कुमार शर्मा ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया, क्योंकि प्रॉपर्टी के पेपर बुजुर्ग अरुण शर्मा के नाम पर ही थे लिहाजा इसी साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने अरुण शर्मा के हक में फैसला सुनाया. अब बस अरुण कुमार शर्मा को गुरुग्राम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट की कॉपी देनी थी, इसके बाद ऋषिपाल को वो जमीन खाली करनी पड़ती. इसी बात से खफा होकर बुजुर्ग अरुण शर्मा के दोस्त डॉक्टर ऋषिपाल ने अरुण शर्मा के क़त्ल की साजिश रच डाली.

जमीन विवाद की ये बात आरोपी डॉक्टर ऋषिपाल ने अपने एक दोस्त हर्ष छाबड़ा को बताई. तब हर्ष ने ऋषिपाल को वादा किया की वो 25 लाख रुपए लेकर अरुण शर्मा को रास्ते से हटा देगा. हर्ष ने इस प्लानिंग में अपने बेटे अमित को भी शामिल किया. जिसके बाद अमित ने अपने दो दोस्तों को भी शामिल कर लिया. डील के मुताबिक ऋषिपाल ने अमित और उसके साथियों को 1 लाख एडवांस भी दिए.

इसके बाद इन सभी ने मिलकर बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा के क़त्ल की साजिश रची. प्लानिंग के मुताबिक, 15 नवंबर की सुबह अमित और उसके दो दोस्त कैलाश कॉलोनी मेट्रो स्टेशन के पास खड़े हो गए और बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा का इंतजार करने लगे. ये वो दिन था जब अरुण कुमार शर्मा को गुरुग्राम कोर्ट पहुंचना था और अपने सभी दस्तावेज कोर्ट में जमा करने थे. जैसे ही अरुण कुमार शर्मा कैलाश कॉलोनी मेट्रो स्टेशन के पास पहुंचे तभी अमित ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर अरुण कुमार शर्मा को किडनैप कर लिया. इतना ही नहीं तीनों ने मिलकर गला दबाकर अरुण कुमार शर्मा की हत्या कर दी.

करीब 9 बजे अमित के फोन पर आरोपी डॉ ऋषिपाल के बेटे हितेश का फोन आया और पूछा की अरुण कुमार शर्मा का क्या हुआ. तब अमित ने बताया कि वह अपने साथियों के साथ मिलकर बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा की हत्या कर चुका है. लेकिन हितेश को विश्वास नहीं था लिहाजा उसने अमित से फोटो मांगी. तब अरुण की फोटो हितेश को व्हाट्सएप पर भेजी गई. लेकिन इसके बावजूद हितेश को विश्वास नहीं हो पा रहा था तब उसने अमित को कहा कि बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा की लाश को लेकर गुरुग्राम आए. अमित और उसके साथी लाश लेकर गुरूग्राम पहुंचे. रितेश और आरोपी डॉ ऋषि पाल ने लाश को देखा और तब अमित को कहा कि इस लाश को ठिकाने लगा दो. इसके बाद जो जमीन से जुड़े दस्तावेज बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा के पास थे वह भी ऋषि पाल ने ले लिए.

मामला क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया गया

अमित अपने साथियों के साथ बुजुर्ग अरुण की लाश को ठिकाने लगाने के लिए निकल गया तीनों ने मिलकर उत्तर प्रदेश के झांसी में लाश को एक नहर में फेंक दिया और उसके बाद फरार हो गए. जब अगले दिन बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा घर नहीं पहुंचे तब उनकी बहन ने इस मामले की जानकारी पुलिस को दी. इतना ही नहीं अरुण कुमार शर्मा की बहन ने डॉ ऋषिपाल पर शक भी जताया था. लोकल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिल पाई. लिहाजा मामले की गंभीरता को देखते हुए मामला क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया गया. क्राइम ब्रांच ने घर के आसपास के सीसीटीवी फुटेज को खंगाला और जब ऋषिपाल शर्मा से सख्ती से पूछताछ की तो उसने अपना गुनाह कुबूल कर लिया.

पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने पूछताछ में बताया है कि इस वारदात को अंजाम देने से पहले उन्होंने बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा के घर की कई बार रेकी भी की थी और उन्हें यह मालूम था कि 15 नवंबर को अरुण कुमार शर्मा कोर्ट जरूर जाएंगे. इसलिए उन्होंने शर्मा को रास्ते से हटाने के लिए उसी दिन को चुना. इस मामले में पुलिस ने ऋषिपाल, उसके बेटे हितेश समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. जबकि एक आरोपी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. इतना ही नहीं पुलिस को अभी तक बुजुर्ग अरुण कुमार शर्मा की लाश भी नहीं मिली है जिसकी तलाश की जा रही है.

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