मुंबई को मायानगरी भी कहा जाता है और इस मायानगरी पर राज करने का सपना बहुत से लोगों का रहा है. इन्हीं लोगों में से एक था करीम लाला. उसके बारे में कहा जाता है कि वो गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद किया करता था. कुछ लोग उसे रॉबिनहुड मानते थे तो कुछ अपराधी. चाहे जो भी हो उसका नाम तब तक लिया जाता रहेगा, जब तक मुंबई अंडरवर्ल्ड की बात होगी. कहा तो यह भी जाता है उसने मुंबई की सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर दाऊद इब्राहिम को बुरी तरह पीटा था.
करीम लाला का असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था. उसका जन्म 1911 में अफगानिस्तान में हुआ था. कहा जाता है कि वह पश्तून समुदाय का आखिरी राजा था. वो बहुत अमीर था और जमींदार परिवार से ताल्लुक रखता था. 21 साल की उम्र में वो पेशावर होता हुआ मुम्बई पहुंचा और 1940 का दशक आते-आते वो डॉक पर तस्करी का किंग बन चुका था. मुम्बई में कई जगहों पर उसने जुए और दारू के अड्डे भी शुरू कर दिए थे.
कहा जाता है कि तमिलनाडु से आए हाजी मस्तान, वर्धराजन और करीम लाला ने मिलकर मुम्बई को आपस में बांट लिया था. सब कुछ ठीक चल रहा था और लाला मुंबई पुलिस के लिए गैंगस्टर बन चुका था जो पठान गैंग का सुप्रीमो था. इसी सब के बीच मुंबई के डोंगरी इलाके से निकले एक शख्स ने ठान लिया था कि वो मुंबई पर अकेला ही राज करेगा. इस शख्स का नाम था दाऊद इब्राहिम.
यहीं से मुंबई में शुरू हुआ गैंगवार का दौर, शूटआउट का दौर और दाऊद का दौर. करीम लाला के पठान गैंग और दाऊद गैंग के बीच मुंबई की सड़कों पर खूनी खेल खेला जाने लगा. पठान गैंग ने दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या कर दी. जिसका बदला दाऊद गैंग ने पांच साल बाद करीम लाला के भाई रहीम खान का कत्ल कर के लिया.
कहा तो ये भी जाता है कि बॉलिवुड के कई लोगों से करीम लाला की दोस्ती थी और कई बड़ी हस्तियों की उसने काफी मदद भी की थी. मजेदार बात यह है कि दाऊद इब्राहिम पहले करीम लाला के गैंग में ही काम करता था और बाद में उसने अपना गैंग बना लिया. चूंकि वह पठान गैंग से जुड़ी हर बात को जानता था. इसलिए उसने धीरे-धीरे मुंबई से पठान गैंग को खत्म कर दिया.
एबीपी न्यूज़ की इन्वेस्टिगेटिव एडिटर शीला रावल ने अपनी किताब Godfathers of Crime: Face to Face with India's Most Wanted में करीम लाला के कारोबार के बारे में विस्तार से लिखा है.
उन्होंने बताया कि लाला की कद काठी और आवाज से स्थानीय लोग डरते थे. शुरु में वह छोटा मोटा गुंडा था और वसूली आदि भी करता था लेकिन वक्त बीतने के साथ-साथ उसका कद बढ़ने लगा. डॉकयार्ड के आस पास के इलाके में उसकी हुकूमत चलने लगी और उसका गैंग बड़ा होता गया.
उनके मुताबिक मुंबई अंडरवर्ल्ड की शुरुआत डॉक से ही हुई थी क्योंकि यहां से तस्करी की जाती थी. दाना बाजार, कपड़ा बाजार जैसे इलाकों पर लाला का राज चलता था. मनीष बाजार में तो तस्करी का माल खुलेआम मिलता था. रेडियो से लेकर घड़ियों तक की समग्लिंग की जाती थी.
शीला ने बताया कि डॉकयार्ड के आस पास के इलाके में लाला का कब्जा था. एक वक्त तो ऐसा था कि लाला अदालत लगाने लगा था और लोगों के विवाद सुलझाने लगा था. वे बताती हैं कि लाला को बॉलीवुड पसंद था और उसके मुंबई आने की सबसे बड़ी वजह फिल्में ही थीं.
पढ़ें करीम लाला की कहानी जिसने मुंबई की सड़कों पर दौड़ा कर पीटा था दाऊद को
ABP News Bureau
Updated at:
03 Apr 2018 02:58 PM (IST)
मुंबई को मायानगरी भी कहा जाता है और इस मायानगरी पर राज करने का सपना बहुत से लोगों का रहा है. इन्हीं लोगों में से एक था करीम लाला. उसके बारे में कहा जाता है कि वो गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद किया करता था.
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