फर्जी चैक-सिग्नेचर से लाखों की ठगी करने वाला गैंग गिरफ्तार, मास्टरमाइंड फरार
नई दिल्लीः दिल्ली में एक ऐसे शातिर गैंग का पर्दाफाश हुआ है जो और चैकबुक पर पाउडर का इस्तेमाल कर किसी और खाते की डीटेल्स उस चैक पर मैग्नेटिक इंक के जरिए छाप कर फर्जी सिग्नेचर के जरिए लाखों का फर्जीवाड़ा करके रीयल अकाऊंट होल्डर्स को लाखों का चूना लगा रहा था. यानी आपका चैकबुक भले ही आपके पास हो लेकिन बावजूद इसके आप ही के नाम से इश्यू चैक बैंक तक पहुंच कर आपको मिनटों में कंगाल कर दें और आपका पता तक ना चले. डुप्लीकेट चैक वाले ये लुटेरे इस तरीके से लोगों को लाखों का चूना लगा रहे थे. दक्षिणी दिल्ली पुलिस ने डुप्लिकेट चैक से धोखाधड़ी करने वाले इंटरस्टेट गैंग का खुलासा किया हैं. असल में 12 मार्च को एनजीओ चलाने वाले एक शख्स ने पुलिस को शिकायत दी कि गुलमोहर पार्क के पीएनबी के उनके खाते से उनकी जानकारी के बगैर चैक के जरिए 95 लाख रूपये किसी अन्य खाते में ट्रांसफर किए गए है. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की तो पता चला कि जिस खाते में पैसे ट्रांसफर हुए वो कुरुक्षेत्र इलाके के पीएनबी में ट्रांसफर हुआ था. उस खाते के मालिक अमरदीप सिंह से जब बात हुई तो उसने कबूला कि राजीव गुप्ता नाम के एक शख्स ने उसे चैक दिया था और ये कहा था कि अगर उसके खाते में पैसा आएगा तो उसे 30 लाख मिलेंगे. इस शख्स ने राजीव गुप्ता तक पहुंचने के लिए सुराग के तौर पर उसकी फॉक्सवैगन गाड़ी के बारे में बताया था. जांच में पता चला कि ये गाड़ी कई बार बिक चुकी है किसी तरह पुलिस गाड़ी के मालिक तक पहुचीं तो पता चला कि कार का मालिक गौरव कुमार गोयल है. यही शख्स राजीव गुप्ता के नाम से काम कर रहा है.
इसके बाद पता चला कि राजीव गुप्ता बैंको से असली चैक लेकर कमीशन पर इसका डुप्लीकेट एक शख्स से बनवाता था. चैक के फर्जीवाड़े में एक मास्टरमाइंड चिराग चौधरी का पता चला जो फर्जी साइन करता था जो उसके साथ वॉट्सऐप के जरिए एक वर्चुअल नंबर के का इस्तेमाल कर संपर्क में रहता था और फ़िलहाल ये मास्टरमाइंड यूएस भाग चुका था. एक्सपर्ट्स और टेक्निकल सर्विलांस की मदद से पुलिस गिरोह के एक और सदस्य सानू ठाकुर के पास पहुचीं, इसके पास से कई स्टैम्प और प्रिंटर मिले हैं. सानु ठाकुर ने बताया कि राजीव गुप्ता उसके पास चैक लेकर आता था जिसका रीयल नम्बर वो ब्लेड से मिटा कर उस पर कोरल ड्रा के जरिए पहले से मौजूद किसी अन्य खाते के नम्बर और डीटेल मैग्नेटिक इंक की मदद से प्रिंट करता और बदले में कमीशन लेता था. इनके पास से कई बैंक की चैक बुक, 17 एकाउंट होल्डर के चैक, एकाउंट नंबर मिले है.
पूछताछ में सानू ने बताया कि जो एकांउट होल्डर के पास चैक होता है उसके नंबर को एक दूसरे चैक पर मैग्नेटिक इंक से लगा दिया करता था और सर्जिकल ब्लेड से उस चैक का नंबर बदल दिया करता था. सानु ठाकुर फर्जी सिग्नेचर करने में माहिर है. जब सानु ठाकुर बैंक में ये फर्जी चैक लेकर जाता था तो सेम एकाउंट और सिग्नेचर की पहचान नहीं हो पाती थी. इस खेल का मास्टर माइंड चिराग चौधरी पहले करोलबाग में रेस्टोरेंट चलाता था. बताया जा रहा है कि उसके पिता सीए हैं जिनकी वजह से चिराग चौधरी बैंक कर्मचारियों को जानता था जिनके साथ मिलकर ये फर्जीवाड़ा करता था. चिराग फ़िलहाल विदेश भागा हुआ है. चिराग चौधरी के लिए लुक आउट नोटिस खुलवाने का प्रोसेस कर रहा है. पुलिस के मुताबिक 17 तारीख को चिराग अमेरिका भाग गया है. जांच में पुलिस की टीम प्रीतम दास जो पीएनबी बैंक खानपुर में मैनेजर है उस तक पहुंची. खुलासा हुआ कि ये मैनेजर चिराग को उन खातों की जानकारी देता जिनमें ज्यादा कैश होता था. जिनका एकाउंट और उन्हें ईश्यू की गई रीयल चैक लीफ का पूरा डाटा वो चिराग को मुहैया कराता ताकी उनका डुप्लीकेट चैक बनाया जा सके. जांच में पता चला कि गौरव कुमार गोयल पर 2 मामले ऐसे ही गुजरात में दर्ज है, सानू ठाकुर पर भी यूपी में बैंक फ्रॉड का मामला दर्ज है. पुलिस को शक है इस मामले में और कई एकाउंट होल्डर को चूना लगाया है और इसमें और भी बैंक के लोग शामिल हो सकते है.
फिलहाल इस मामले में सबसे चौंका देने वाली बात ये ही है कि पैसे वाले एकाउंट्स की डिटेल्स पीएनबी बैंक का मैनेजर देता था और वो ही इस केस का मास्टरमाइंड था जो अब अमेरिका फरार हो चुका है.