चेन्नई: देश के कुछ चुनिंदा शहरों में पिछले कुछ समय से गांजा तस्करी का व्यापार फूड डिलीवरी एजेंट के रूप में उभरकर सामने आया है. डिलीवरी एजेंट की आड़ में गांजा तस्करी का धंधा जमकर चल रहा है. पुलिस भी इन गांजा तस्करों को पकड़ने धोखा खा जाती है. हालांकि पुलिस ने कुछ तस्करों को पकड़ने में कामयाबी भी हासिल की है. ये पूरा धंधा व्हॉट्सअप ग्रुप के आधार पर चलता है.
कैसे होती है ऑनलाइन गांजा तस्करी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांजा तस्करी का ये धंधा नेटवर्क स्कीम के तहत व्हॉट्सअप ग्रुप पर चलता है. ग्रुप में पहले से शामिल कोई शख्स दूसरे शख्स को रेफर करता है. रेफरल के जरिए ही कोई शख्स व्हॉट्सग्रुप में शामिल हो जाता है. ग्रुप में शामिल होते ही उसे कंपनी की तरफ से फ्री सेंपल की होम डिलिवरी की जाती है. इसके बाद गांजा खरीदने के लिए व्हॉट्सअप ग्रुप या ईमेल के जरिए ऑर्डर दिया जा सकता है. डिलीवरी एजेंट गांजे की होम डिलीवरी कर देगा, उसे पैसे उसी समय कैश देने होते हैं.
यही नहीं, अगर कोई शख्स किसी दूसरे व्यक्ति को रेफर करता है तो उसे 5 से 10 फीसदी कमीशन भी मिलता है. इस तरह कोई शख्स 20 हजार रुपये प्रति दिन की कमाई कर सकता है.
डिलीवरी एजेंट पर न तो किसी को संदेह होता है और न ही पुलिस उन्हें रोकती है. लेकिन सोमवार को एक गश्ती दल ने कुछ खास देखा. पुलिस ने देखा कि दो युवक डिलीवरी एजेंट से पार्सल लेने की बजाए उन्हें पार्सल दे रहे थे. जिज्ञासु, पुलिसकर्मियों ने उनसे पूछताछ की, तब उन्हें कुछ शक हुआ. पुलिस ने तलाशी की, तो 10.50 किलो गांजा मिला. इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
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