नई दिल्ली/गाजियाबाद : एनसीआर में स्थित इंदिरापुरम में 27 जनवरी की रात को हुए ऑडी कार से चार लोगों की मौत का मामला उलझ गया है. इस मामले में कोर्ट में पेश हुए कथित ड्राइवर की पड़ताल में सामने आया है कि वो ड्राइवर तो उस दिन गुजरात में था. साथ ही एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए एसपी ने माना है कि घटना के समय डॉक्टर के मोबाईल की लोकेशन घटनास्थल के पास ही थी.


वारंट लेने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटकाने वाली है


अब पुलिस डॉक्टर के खिलाफ गैर जमानती वारंट लेने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटकाने वाली है. साथ ही पुलिस को लगता है कि ड्राइवर को गलत तरीके से पेश किया गया. उसमे भी धोखाधड़ी का मुकदमा कायम किया जायेगा. ऑडी और ऑटो में हुयी टक्कर के बाद यजुवेंद्र, विशाल, संजीव और महिला रिंकू यादव की मौत हो गयी थी. हादसे के बाद कार में सवार दो लोगों की बात सामने आयी थी.


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दोनों लोग दूसरी कार में लिफ्ट लेकर फरार हो गए थे


पुलिस के मुताबिक दोनों लोग दूसरी कार में लिफ्ट लेकर फरार हो गए थे. लेकिन, 31 तारीख को गाजियाबाद कोर्ट में बरेली निवासी इश्यक पुत्र जमील पेश हुआ और कहा कि वो उस समय ऑडी कार चला रहा था. उसको साथ के साथ जमानत भी मिल गयी. लेकिन, इश्यक से एबीपी न्यूज ने फोन पर बात की तो पता चला कि वह वो फिहलाल असम में है और ट्रक ड्राइवर है.


हादसे वाली रात कथित चालक अहमदाबाद, गुजरात में था


साथ ही हादसे वाली रात यानि 27 जनवरी को वो अहमदाबाद, गुजरात में था. इतना ही नहीं एबीपी न्यूज़ के पास उन दो जमानती के गाड़ियों के कागज भी है जो जमानत में लगाये गए थे. जिनमें से एक उसी ओलिव काउंटी का रहने वाला है जिसमें की डॉक्टर मनीष रावत रहते हैं. बृजेश कुमार फ्लैट नंबर 792 टावर c 1 है. ओलिव काउंटी भी इस पते पर पहुंचे लेकिन, कई बार जब गार्ड ने इस फ्लैट पर फोन मिलाया तो किसी ने फोन नहीं उठाया.


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खुद चलाते थे या ड्राइवर इस बात पर स्थिति साफ नहीं है


ऐसे में ऑडी कार के मालिक डॉ मनीष रावत गाड़ी खुद चलाते थे या ड्राइवर इस बात पर स्थिति साफ नहीं है. हालांकि Olive county society के आरडब्ल्यूए प्रेसिडेंट का कहना है कि उनकी सोसाइटी के नियम के मुताबिक अगर किसी गाड़ी में कोई स्थायी चालक होता है तो उसके लिए पास बनाया जाता है. डॉ रावत की ऑडी गाड़ी के लिए ड्राइवर का कोई पास नहीं बनवाया गया था.


सिक्यूरिटी और आरडब्ल्यूए वालों को भी ज़्यादा जानकारी नहीं है


उनके पास 2 पार्किंग हैं जिनमें से एक किराए पर ली है. वो लोग दिसम्बर में ही इस सोसाइटी में आए थे. इसलिए स्टाफ सिक्यूरिटी और आरडब्ल्यूए वालों को भी ज़्यादा जानकारी नहीं है. गार्ड्स ने बातचीत में बताया कि जिन गाड़ी पर स्टीकर लगे होते हैं उनकी रजिस्टर में एंट्री नहीं की जाती. डॉक्टर का परिवार यहां किराए पर रहता है.


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डॉ रावत ने पुलिस के सामने अभी तक कोई बयान नहीं दिया है


रेंट अग्रीमेंट कृष्ण बिहारी के नाम पर बना है जो कि डॉ रावत के ससुर बताये जा रहे हैं. गाज़ियाबाद के एसएसपी दीपक कुमार के मुताबिक डॉ रावत ने पुलिस के सामने अभी तक कोई बयान नहीं दिया है. डॉ रावत को नोटिस दिया था उनके अस्पताल और 2-3 और जो ठिकाने हैं, वहां वो नहीं पाए गए... जब तक जांच में वो शामिल नहीं होते हैं, उनको क्लीनचिट नहीं दी जा सकती है.