नई दिल्ली: आईएसआईएस के कदम अब गुजरात तक पहुंच चुके हैं. गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते यानी एटीएस ने राजकोट और भावनगर से दो ऐसे युवकों को गिरफ्तार किया है, जो आईएस की आंतकी विचारधारा से पूरी तरह प्रभावित होकर अपने हैंडलर्स के कहने पर गुजरात में बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए तैयार हो चुके थे.
गुजरात एटीएस के एसपी हिमांशु शुक्ला की अगुआई में जिन दो युवकों की गिरफ्तारी की गई है, उनके नाम हैं वसीम आरिफ रामोडिया और नईम आरिफ रमोडिया हैं. वसीम और नईम दोनों सगे भाई हैं और इनके पिता आरिफ रमोडिया राजकोट के स्थानीय क्रिकेट मैचों में अंपायर के तौर पर काम करते रहे हैं. पिता आरिफ बेटों की गतिविधियों को जानकर टूट चुके हैं. उन्हें भी अपने बेटे की कारिस्तानियों का तब पता चला, जब एटीएस की टीम राजकोट के नेहरु नगर इलाके में उनके बड़े बेटे वसीम को गिरफ्तार करने आज तड़के पहुंची. पिता ने भी स्वीकार किया उनके घर से पुलिस न सिर्फ कंप्यूटर बल्कि कुछ हथियार और विस्फोटक भी ले गई है.
गुजरात एटीएस की दूसरी टीम ने ऩईम को भावनगर से गिरफ्तार किया, जहां वो प्रभुदास तलाव चार रास्ता के पास रहा करता था. एटीएस पिछले एक साल से दोनों भाइयों की गतिविधियों पर निगाह रखे हुई थी और जब पुलिस अधिकारियों को इस बात का अहसास हो गया कि जल्दी ही दोनों युवक किसी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने वाले हैं, तो फिर दोनों ही ठिकानों पर धावा बोलकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
वसीम और नईम गुजरात एटीएस के रडार पर तब आए, जब एनआईए की टीम ने पिछले साल फरवरी में मुफ्ती अब्दुस समी कासमी को उत्तर प्रदेश के हरदोई से गिरफ्तार किया. मूल तौर पर दिल्ली के सीलमपुर का रहने वाला मुफ्ती अब्दुस दारुल उलूम देवबंद से पढा था और एक मदरसा चलाता था. मुफ्ती देश भर में घुम घुम कर आईएस के समर्थन में मुस्लिम युवकों को जोड़ने की कोशिश कर रहा था, साथ में देश विरोधी गतिविधियों के लिए उकसा भी रहा था.
मुफ्ती को जब गिरफ्तार किया गया, तो उसके पास से जो मोबाइल मिला, उस मोबाइल के नंबर 98*****736 से कई नंबरों पर नियमित बातचीत की गई थी, जिसमें से एक नंबर गुजरात का निकला. गुजरात का नंबर था 9*****5786, जो नंबर आगे की जांच में वसीम के नाम पर रजिस्टर्ड पाया गया. इसी के साथ एनआईए के साथ ही गुजरात एटीएस ने भी वसीम की गतिविधियों पर निगरानी रखनी शुरु कर दी. इस दौरान जांच में ये भी पता चला कि मुफ्ती अब्दुस कई बार गुजरात आ चुका है और इस दौरान अपने जेहादी प्रवचनों के दौरान कई दफा वो वसीम से भी मिला था.
वसीम पर जब गुजरात एटीएस ने अपनी आंखें गड़ाई, तो पता चला कि वसीम की अपने छोटे भाई नईम सेे भी लगातार बात होते रहती थी, जिसमें आईएस के प्रति उनका झुकाव, गुजरात में जेहादी गतिविधियों को बढ़ाने और इस सिलसिले में खौफनाक हिंसक वारदातों की करने की साजिश रचने की बात सामने आई.
गुजरात एटीएस दोनों भाइयों के फोन, साथ में उनके सोशल मीडिया के साथ किये जा रहे कम्युनिकेशन पर भी निगार रख रही थी. इसी दौरान ये बात ध्यान में आई कि वसीम अपने आईएस हैंंडलर को ये वादा कर चुका है कि वो जल्दी ही राजकोट के नजदीक चोटिला में जो शक्ति पीठ है, वहां जाकर हिंसक गतिविधि को अंजाम देगा, कुछ उसी अंदाज में जिसके लिए आईएस कुख्यात है. इसके बाद गुजरात एटीएस और चौकन्नी हुई, और दोनों भाई किसी बड़ी वारदात को अंजाम न दे दें, इसके पहले आज तड़के गिरफ्तार कर लिया.
गुजरात एटीएस ने दोनों भाइयों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के अलावा अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट और एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया है. एटीएस की जांच में ये भी सामने आया है कि वसीम की पत्नी शेहजीन भी अपने पति की गतिविधियों से अवगत थी. जब वसीम ने उसे बताया कि वो चोटिला आया है किसी हिंसक गतिविधि को अंजाम देने के लिए, तो उसे कहा था कि तुम अपने आईएस हैंडलर को बोलो कि तुम अकेले इसे अंजाम नहीं दे सकते, बल्कि अपने भाई नईम की मदद के साथ ही ऐसा कर सकते हो. एटीएस ने अभी शेहजीन को आरोपी नहीं बना पाया है. एटीएस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि शेहजीन को डेढ़ महीने की एक बच्ची है और ऐसे में अधिकारी बाद में ये तय कर सकते हैं कि उसे आरोपी बनाया जाए या फिर वादा माफ गवाह के तौर पर रखा जाए.
एटीएस की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि वसीम और नईम तकनीकी तौर पर काफी मजबूत थे. दरअसल वसीम ने जहां एमसीए किया है, वही नईम ने बीसीए. इसलिए दोनों भाईयो को ये पता था कि आईएस से जुड़े अपने हैंडलर से कितनी सावधानी से बात की जाए, ताकि खुफिया एजेंसियों की निगाह में आने से बचा जा सके. दोनों भाइयों के बीच जो बातचीत हुई हैं, इसमें भी इसका खुलासा हुआ है. सामान्य तौर पर अपने हैंडलर से बातचीत करने के लिए वसीम आईएमओ या फिर टेलीग्राम जैसे अप्लिकेशन का इस्तेमाल करता था, जिसमें एंड टु एंड इनक्रिप्शन होता है, मतलब ये कि न तो बातचीत रिकॉर्ड की जा सकती है और न ही बातचीत के कोई सबूत मिल सकते हैं. वसीम ने अपने हैंडलर से बातचीत करने के लिए निंजा फॉक्स जैसी प्रोफाइल आईडी बनाकर रखी थी, जबकि उसका हैंडलर बिग कैट प्रोफाइल के साथ टेलीग्राम एप्प के जरिये बातचीत करता था.
वसीम और नईम के बीच की बातचीत, जो एटीएस ने रिकॉर्ड की है, उसमें इस बात का भी खुलासा हुआ है कि बगदादी के नेतृत्व में आईएस की गतिविधियों की रफ्तार से दोनों भाई संतुष्ट नहीं थे और काफिरों के खिलाफ अभियान में खुद भी शामिल होना चाह रहे थे. इन दोनों के घर से जो कंप्यूटर और मोबाइल बरामद हुए हैं, उसमें बम बनाने से लेकर कत्ल करने तक की तकनीक वाले वीडियो तो है हीं, साथ में मुफ्ती अब्दुस के भड़काई भाषणों की सैकड़ों क्लिप्स भी हैं. वसीम के पास से विस्फोटक भी बरामद हुए हैं, साथ में चाकू और दूसरे हथियार भी. वसीम के लैपटॉप से आईएस की पत्रिका दबीक के आठ अंक मिले हैं, साथ में हार्ड कॉपी भी. यही नहीं, बम बनाने के कई मैनुअल भी हैं, जिसमें रिमोट कंट्रोल को जरिये कैसे विस्फोट किया जाए, इसकी जानकारी भी है. पुलिस ने वसीम के घर से दो नकाब भी बरामद किये हैं, जिसका इस्तेमाल अपनी पहचान छुपाने के लिए आईएस के आंतकी आम तौर पर करते हैं.
एटीएस अधिकारियों का कहना है कि दोनों भाई दुनिया में हो रही गतिविधियों, खास तौर पर आईएस की गतिविधियों से भली-भांति वाकिफ थे. मसलन वसीम एक वक्त अपने भाई नईम के साथ बातचीत में तुर्की में हुई रूसी राजदूत की हत्या पर खुशी जाहिर करता है और हत्यारे की हिम्मत की दाद देता है. इसी तरह जब एक अमेरिकी जहाज को आईएस के लड़ाके गिरा देते हैं, तो वसीम ऩईम से बातचीत कर खुशी जाहिर करता है और इस बात पर दुखी भी होता है कि उसकी कौम में यहां कोई हलचल नहीं है और दोनों भाई ठानते हैं कि उन दोनों को ही मिलकर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देना होगा.
वसीम और नईम की गिरफ्तारी के बाद गुजरात एटीएस की टीम अब ये जानने में लगी है कि आखिर अगर गुजरात तक आईएस अपने पांव पसार चुका है, तो फिर वसीम और नईम के संपर्क में गुजरात के कुछ और युवक तो नहीं. चिंता वाली बात ये है कि दोनों युवक काफी पढ़े-लिखे हैं, एक इज्जतदार घराने से आते हैं, बाप की बतौर क्रिकेट अंपायर प्रतिष्ठा है, दोनों युवक शादी-शुदा हैं और फिर भी आईएस की हिंसक जेहादी विचारधारा से न सिर्फ प्रभावित हैं, बल्कि खुद किसी हिंसक गतिविधि को अंजाम देने का पूरा मन भी बना चुके हैं. मुंबई, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, केरल और अब गुजरात में आईएस के समर्थकों का उभरना निश्चित तौर पर न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों, बल्कि देश के लिए भी चिंता का विषय है.