चंडीगढ़ : साल 2010 में हरियाणा के हिसार में मिर्चपुर गाँव में दलितों पर हुए अत्याचार की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि एक बार फिर इस गाँव में दहशत लौट आयी है. यहां जाट समुदाय के कुछ लड़कों पर दलित लड़कों की पिटाई का मामला गरमा गया है. जिसके चलते अब दलित समाज के लोग इस गाँव से पलायन को मजबूर हो गए हैं.


मिर्चपुर गांव एक बार फिर हिंसा की आग में जल रहा है


हरियाणा के हिसार ज़िले का मिर्चपुर गांव एक बार फिर हिंसा की आग में जल रहा है. यहां साल 2010 में जाट समुदाय और दलितों के बीच हुई कहासुनी के बाद पिछले 6 साल से सीआरपीएफ की तैनाती थी. जिसे दिसंबर 2016 में हटाते ही 1 महीने के अंदर एक और हादसे ने फिर से आग का रूप दे दिया है.


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स्टंट देखने के लिए कई लोग एक जगह इकट्ठे हुए थे


मिर्चपुर गांव में सोमवार शाम को साइकिल का स्टंट देखने के लिए कई लोग एक जगह इकट्ठे हुए थे. जिस दौरान आरोप है कि कुछ लड़कों ने स्टंट कर रहे लड़कों को जातिसूचक शब्द कहे. इससे झगड़ा इतना बढ़ गया कि बात मारपीट तक पहुंच गयी. हादसे के तुरंत बाद इलाके में पुलिस की तैनाती बढ़ गयी है. बावजूद इसके गाँव में सन्नाटा पसरा है और दलित समाज के लोग यहाँ रहने को तैयार नहीं है.


दिसंबर तक सीआरपीएफ की टुकड़ी तैनात की गयी थी


दरअसल साल 2010 में अप्रैल के महीने में कुत्ते को लेकर शुरू हुआ झगड़ा इतना बड़ा हो गया था कि यहाँ एक समुदाय के लोगों ने वाल्मीकि बस्ती के कई घरों को आग के हवाले कर दिया था. जिसमें 2 लोगों की मौत हो गयी थी. इस हादसे के बाद से यहाँ पिछले साल दिसंबर तक सीआरपीएफ की टुकड़ी तैनात की गयी थी.


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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस गांव का दौरा किया


यह हादसा इतना बड़ा हो गया था कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस गांव का दौरा किया था. इस बस्ती में रहने वाले संदीप ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि हालात तब तक ठीक थे जब तक यहाँ सीआरपीएफ थी. लेकिन, एक महीने पहले जैसे ही यहाँ से सीआरपीएफ लौटी इस बस्ती के लोगों के मन में खौफ लौट आया.


महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले खौफ कई गुना ज्यादा है


सभी इस डर में जीने लगे की जल्द ही कुछ अनहोनी फिर से होगी और ऐसा हुआ भी. इस गाँव की महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले खौफ कई गुना ज्यादा है. अपना दर्द और खौफ बयां करते हुए इनकी आँखे भर आती हैं. महिलाओं का कहना है कि शाम का अँधेरा उनके दिलों में किसी अनहोनी का डर ला देता है और पुलिस की मौजूदगी भी इस डर को कम नहीं करती.


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अब ज़्यादातर घरों पर ताले जड़े हुए हैं


शिकायत के बाद पुलिस ने इलाके में 15 लोगों को हिरासत में लिया और पूछताछ के बाद 4 लोगों को अब तक इस मामले में गिरफ्तार भी कर लिया गया है. बावजूद इसके लोग अब भी यहाँ रहने को तैयार नहीं है. शायद यही वजह है कि करीब 350 घरों वाली इस बस्ती में अब ज़्यादातर घरों पर ताले जड़े हुए हैं.


किसी और जगह रहने की मांग कर रहे हैं


यहां के लोगों अपने लिए किसी और जगह रहने की मांग कर रहे हैं या फिर एक बार फिर से सीआरपीएफ को यहाँ तैनात किये जाने की. गौरतलब है कि दुसरे समुदाय का पक्ष जानने की कोशिश की गयी लेकिन उन्होंने इस बारे में बात करने से इनकार कर दिया.


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