नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सात साल की एक छात्रा से बलात्कार की बार-बार कोशिश करने के जुर्म में एक ट्यूशन टीचर को पांच साल जेल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि पीड़िता जिस भावनात्मक तनाव से गुजरी है, वह लंबे समय तक उसे प्रभावित करेगा.
जज इंदरमीत कौर ने नरेश कुमार को दोषी करार दिए जाने और जेल की सजा सुनाने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. जज ने कहा कि दोषी के पक्ष में ऐसी कोई स्थिति नहीं बनती है जिससे निचली अदालत के फैसले को बदला जा सके.
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हाईकोर्ट ने कहा कि नरेश को बार-बार बलात्कार की कोशिश करने के जुर्म में सुनाए गए फैसले में कोई विसंगति नहीं है और अपराध की प्रकृति देखते हुए उसे सुनाई गई पांच साल की सजा में कोई गलती नहीं है.
अदालत ने कहा कि न सिर्फ सात साल की पीड़िता के शरीर पर हमला किया गया, बल्कि उसके दिलो दिमाग पर भी हमला किया गया. वह जिस मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक तनाव से गुजरी है, उसका असर उस पर लंबे समय तक रहेगा.
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पीड़िता की मां ने मई 2008 में मामला दर्ज कराया था. पुलिस शिकायत में महिला ने आरोप लगाया था कि नरेश ने उनकी बेटी से बलात्कार की कोशिश की और उसे धमकी दी कि यदि घटना के बारे में उसने किसी तो बताया तो वो उसे मार डाला जाएगा.
शिकायत के मुताबिक, नरेश ट्यूशन पढ़ाने के लिए तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली पीड़िता के घर आता था और उसे अपने कपड़े उतारने को कहता था. पीड़िता ने नरेश की हरकतों के बारे में अदालत को बताया था कि उसने दरवाजा बंद करके उससे बलात्कार की कई बार कोशिश की और किसी को इस बारे में बताने पर उसे जान से मारने की धमकी दी.
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एक बार जब पीड़िता की मां कमरे के भीतर आई और नरेश को अपनी बेटी पर हमला करते देखा तो उन्होंने शोर मचाया, लेकिन दोषी मौके से फरार हो गया. बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया. नरेश ने अपने बचाव में कहा था कि वह निर्दोष है.