नई दिल्ली: भोजपुर जिले में एक सड़क दुर्घटना में दो पत्रकारों की मौत को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव और राज्य पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किए हैं. मीडिया में आई खबरों पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने कहा कि 25 मार्च को हुई घटना पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है.


बता जा रहा है कि आरोपियों की पत्रकारों से कथित तौर पर बहस हुई थी जिसमें उन्होंने पत्रकारों को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी. इसके कुछ समय बाद ही बिहार के भोजपुर जिले में रविवार की रात को अपराधियों ने गाड़ी से कुचल कर दो पत्रकारों को मार डाला. यह वारदात आरा-सासाराम स्टेट हाईवे पर गड़हनी थाना क्षेत्र के नहसी गांव के नजदीक हुई. आरोप है कि गड़हनी के एक पूर्व मुखिया के परिजनों ने इस हत्या को अंजाम दिया है.


‘‘द इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट’’(आईएफडब्ल्यूजे) ने घटना की कड़े शब्दों में निंदा की और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बिहार सवालों के घेरे में है.


बता दें कि पिछले कुछ सालों में पत्रकारों पर हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इससे एक साल पहले बिहार के सिवान में पत्रकार राजदेव रंजन की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वहीं पिछले साल कर्नाटक में पत्रकार गौरी लंकेश की उनके घर के बाहर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. गुंडे-बदमाशों के अलावा पत्रकारों को सरकारों से भी खतरा बना रहता है.


मीडिया वॉचडॉग "द हूट" की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में तीन पत्रकारों की हत्या की गई और 46 पत्रकारों पर हमला किया गया. वहीं इस दौरान पत्रकारों से जुड़े 27 ऐसे मामले सामने आए जिसमें पुलिस कार्रवाई की गई है. साल 2017 में पत्रकारों को धमकी देने के 12 मामले सामने आए थे.