नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने पूर्व प्रेमी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही महिला और उसके लिव इन पार्टनर को बरी कर दिया है. अदालत ने उनकी यह याचिका स्वीकार कर ली है जिसमें उन्होंने कहा है कि अपनी बेटी को यौन शोषण से बचाने के लिए और आत्मरक्षा के लिए हत्या की थी.
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने यह कहते हुए दोनों को बरी कर दिया है कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों से यह पता चलता है कि उसके पूर्व प्रेमी ने महिला की नाबालिग बेटी का यौन शोषण करने की कोशिश की थी. इसी दौरान हुई हाथापाई में ही गला घुट जाने से व्यक्ति की मौत हो गई.
पीठ ने कहा, ‘‘चोट पहुंचाना पहले से तय नहीं था बल्कि उस यह उसी समय हो गया. इसके मद्देनजर यह नहीं कहा जा सकता है कि अपीलकर्ता मधु और विरेंद्र की मृतक (सतेंद्र) की हत्या करने की कोई मंशा नहीं थी.’’
अदालत ने कहा, ‘‘अत: याचिकाकर्ताओं को आईपीसी की धारा 302 और धारा 34 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराने वाले फैसले को बरकरार नहीं रखा जा सकता.’’ पीठ ने कहा कि इस अदालत के समक्ष अपीलकर्ताओं ने आत्मरक्षा की याचिका को पेश किया और खुद अभियोजन पक्ष के मामले से भी यह बात साबित होती है.
अदालत ने कहा कि अगर किसी अन्य मामले में प्रेमी जोड़े की जरुरत नहीं है तो इन्हें तुरंत रिहा किया जाए. निचली अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा था कि उनके पास महिला के पूर्व प्रेमी की हत्या करने की ‘‘ठोस मंशा’’ थी.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पुलिस को सितंबर 2008 को उत्तर पश्चिम दिल्ली के बवाना में एक मकान में एक बक्से में 35 वर्षीय सतेंद्र का शव मिला था. पूछताछ के दौरान यह पता चला था कि यह मकान 42 साल की मधु और 38 साल के विरेंद्र का है. सतेंद्र पिछली रात को उनके घर आया था और उन्होंने झगड़ा होने के बाद कथित तौर पर गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी थी.