नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के एकत्रित आंकड़ों के अनुसार रेलवे सुरक्षा बल ने 2016 में अपराध के करीब 10.68 लाख मामले दर्ज किये थे. इससे पहले के साल में इस तरह के मामलों की संख्या 9.42 लाख थी. एनसीआरबी के वार्षिक अपराध आंकड़ों के अनुसार 2016 में महाराष्ट्र में सर्वाधिक मामले दर्ज किये गये जिनकी संख्या 2,23,360 रही जो कुल मामलों का करीब 20.9 प्रतिशत है. 2015 में महाराष्ट्र में इस तरह के 1,96,602 मामले दर्ज किये गये थे.

उत्तर प्रदेश में आरपीएफ ने कुल मामलों के 11.7 फीसदी यानी 1,24,720 मामले अपराध के दर्ज किये. दिल्ली में 2016 में 24,293 मामले दर्ज किये गये जो 2015 में 15,083 थे. आरपीएफ सीधे रेल मंत्रालय के तहत काम करता है और उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी रेलवे की संपत्तियों की सुरक्षा करना है. रेलवे संपत्तियों की तोड़फोड़, चोरी आदि की घटनाओं की जांच का काम आरपीएफ का होता है.

दूसरी तरफ सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) संबंधित राज्य सरकारों के तहत काम करती है जिसके अधिकार क्षेत्र में वे पदस्थ हैं. उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी कानून व्यवस्था बनाये रखना और ट्रेनों तथा रेलवे के परिसरों में यात्रियों की हिफाजत करना है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार जीआरपी ने 2016 में चोरी, लूटपाट, बलात्कार, दंगा भड़काने, अपहरण और आगजनी समेत अपराध के कुल 61,952 मामले दर्ज किये थे. इसमें पिछले साल दर्ज किये गये 53,547 मामलों की तुलना में बढ़ोतरी हुई.