कोच्चि: केरल में पिछले साल कानून की एक 30 वर्षीय दलित छात्रा के साथ रेप और फिर हत्या के सनसनीखेज मामले में दोषी पाए गए अमीरुल इस्लाम को अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. एर्नाकुलम की प्रधान सत्र अदालत के न्यायाधीश एन अनिल कुमार ने असम से यहां आए प्रवासी मजदूर इस्लाम को नजदीक के ही पेरुम्बावूर में कानून की छात्रा की हत्या करने के मामले में मौत की सजा सुनाई.


अमीरुल को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (ए) के तहत दोषी पाया गया जिसके बाद उसे महिला के रेप के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई गई. अदालत ने मामले में सजा सुनाने को लेकर अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनीं.

बचाव पक्ष के वकील ने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए आवेदन दाखिल किया था. उनकी दलील थी कि अभियुक्त सिर्फ अपनी मातृभाषा असमी समझता है और केरल पुलिस ने उसके साथ निष्पक्ष व्यवहार नहीं किया. बहरहाल, अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की ओर से दाखिल आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह आवेदन कानून के मुताबिक नहीं है.

अभियोजक पक्ष ने दलील दी कि जिस क्रूर तरीके से 30 वर्षीय कानून की छात्रा का बलात्कार और हत्या की गई वह दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है. उन्होंने कहा कि इस मामले में दोषी को मौत की सजा सुनाई जानी चाहिए. अभियोजक पक्ष ने कहा कि जिस पैशाचिक और बर्बर तरीके से निहत्थी महिला पर यह अपराध किया गया वह ठीक उसी तरह का है जैसा वर्ष 2012 में नई दिल्ली में निर्भया के साथ हुआ था.

इस्लाम के वकील ने कहा कि वह दोषी नहीं है और पुलिस ने उसे इस मामले में फंसाया है. इस मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने इस अपराध में इस्लाम की संलिप्तता साबित करने के लिए डीएनए तकनीक और कॉल रिकॉर्ड की जानकारियों का सत्यापन करने के तरीके का इस्तेमाल किया.

इस्लाम पर 28 अप्रैल 2016 को पेरुम्बावूर में महिला का बलात्कार और हत्या करने का आरोप लगाया गया. गत वर्ष अप्रैल से शुरू हुए मुकदमे के दौरान 100 गवाहों के बयान दर्ज किए गए. गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली महिला का उसके घर पर हत्या किए जाने से पहले नुकीले औजारों से बर्बर तरीके से उत्पीड़न किया गया.

घटना के तुरंत बाद पेरुम्बावूर छोड़ने वाले इस्लाम को इस सनसनीखेज घटना के 50 दिन बाद पड़ोसी तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम से गिरफ्तार किया गया. इस मामले में 100 से अधिक पुलिसकर्मियों ने 1,500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की.