नई दिल्ली: देश को हिला कर रख देने वाले बिहार के चर्चित चारा घाटोला मामले में रांची की विशेष अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दे दिया. 3 जनवरी तक लालू यादव को जेल में रहना होगा. पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया है.


इस मामले के सभी 22 आरोपी कोर्ट में पेश हुए थे जिनमें से 6 को बरी कर दिया गया जबकि बाकियों को दोषी करार दिया गया. बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा को भी बरी कर दिया गया है साथ ही ध्रुव भगत को भी बरी किया गया.


फैसला सुनाए जाने से पहले लालू यादव ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम नीतीश कुमार और सीबीआई मुझे जेल भिजवाना चाहती है. मुझे जेल जाने से डर भी नहीं लगता. मुझे न्याय पर विश्वास है और न्याय मिलेगा.


रोने लगे समर्थक
कोर्ट के बाहर लालू यादव के समर्थक भारी संख्या में मौजूद थे. जैसे ही कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया तो तमाम समर्थक रोने लगे. हालांकि पुलिस ने समय रहते आस पास का इलाका खाली करा दिया था. भारी मात्रा में पुलिसवाले मौके पर पहुंचे थे और समर्थकों को कोर्ट के बाहर से हटा दिया था.



क्या है बिहार का चारा घोटाला?
साल 1996 में चारा घोटाले का खुलासा हुआ था. तब ये घोटाला 900 करोड़ रुपये का था. अब जो फैसला आया है वो देवघर ट्रेजरी से निकासी का है. लालू पर 89 लाख रुपये की अवैध निकासी का आरोप है. चारा घोटाले में कुल छह केस हैं. जिनमें से एक केस में 2013 में लालू यादव को पांच साल की सजा हो चुकी है, जिसके कारण वो चुनावी राजनीति से ही दूर हो गए. उस मामले में लालू यादव फिलहाल जमानत पर बाहर थे. लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाले से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई एक साथ करने की अपील की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए हर केस का ट्रायल अलग-अलग चलाने का आदेश दिया था.


साल 1990 से हुई थी चारा घोटाले की शुरुआत
बता दें कि चारा घोटाले की शुरुआत साल 1990 से हुई थी, जब लालू बिहार के मुख्यमंत्री थे. बिहार के पशुपालन विभाग में फर्जी बिल देकर चारे के नाम पर रकम निकाली गई थी. फर्जीवाड़े में अधिकारी, ठेकेदार और नेता तक शामिल रहे. चारा के नाम पर सालों तक फर्जीवाड़ा होता रहा. चारा घोटाले में लालू यादव पर कुल छह केस दर्ज हैं.


चारा घोटाले का घटनाक्रम
चारा घोटाला जानवरों के चारा, दवाई और पशुपालन उपकरणों का घोटाला है. 900 करोड़ का चारा घोटाला साल 1996 में सामने आया था. इस मामले में बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव और जगन्नाथ मिश्रा मुख्य आरोपी बने. 10 मई 1997 को सीबीआई ने राज्यपाल से लालू के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. 23 जून 1997 को लालू और 55 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. 29 जुलाई 1997 को लालू यादव को गिरफ्तार कर लिया गया था. 12 दिसंबर 1997 को लालू यादव रिहा हो गए लेकिन 28 अक्टूबर 1998 को लालू यादव को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. मार्च 2012 को सीबीआई ने पटना कोर्ट में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा सहित 32 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. 2013 में चारा घोटाले से जुड़े एक मामले चाईंबासा केस में लालू को सजा मिली और अब वह जमानत पर बाहर थे.