विरुदनगर: मदुरै कामराज विश्वविद्यालय (एमकेयू) में अच्छे नंबरों के बदले छात्राओं पर कथित तौर पर यौन संबंधों के लिए दबाव डालने के मामले में एक सहायक प्रोफेसर को गिरफ्तार किया गया है. वहीं एक शोधार्थी ने गुरूवार को अदालत में समर्पण कर दिया. इस मामले से एक महिला कॉलेज शिक्षक का नाम भी जुड़ा है


विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर वी मुरुगन को बुधवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया और सत्तूर के नजदीक एक अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें पांच दिन की सीबी-सीआईडी हिरासत में भेज दिया है. पुलिस ने बताया कि विश्वविद्यालय के शोधार्थी करुप्पासामी ने मुदुरै में एक अदालत के सामने समर्पण कर दिया, जिसे शुक्रवार तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.


मामले में मुख्य आरोपी निलंबित सहायक प्रोफेसर निर्मला देवी ने सीबी-सीआईडी को कथित तौर पर बताया कि मुरुगन और करुप्पासामी ने इस बात के लिए उकसाया कि वह अच्छे नंबरों और धन के बदले विश्वविद्यालय अधिकारियों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए छात्राओं को राजी करे.


क्या है मामला
अरुप्पुकोट्टई स्थित निजी देवांग आर्ट्स कॉलेज की टीचर निर्मला को सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप वायरल होने के एक दिन बाद 16 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसमें वह कथित तौर पर लड़कियों को एमकेयू के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए राजी करने की कोशिश करती नजर आ रही हैं.


इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद तमिलनाडु के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बनवारी लाल पुरोहित ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी आर शांतनम के नेतृत्व में जांच का आदेश दिया था. शुरू में मामला स्थानीय पुलिस ने दर्ज किया था. लेकिन संवेदनशील प्रकृति का मामला होने के कारण 17 अप्रैल को यह सीबी-सीआईडी को सौंप दिया गया. 'सीबी-सीआईडी' सीआईडी का ही एक विशेष विभाग होता है.


बता दें कि कुछ दिन पहले जेएनयू में लाइफ साइंस के प्रोफेसर अतुल जौहरी पर यौन अत्पीड़न का आरोप लगा था. इस मामले में छात्राओं ने बयान जारी कर कहा था, "प्रोफेसर अक्सर यौन प्रवृत्ति वाली टिप्पणियां करते हैं, खुलेआम सेक्स के लिए कहते हैं और लगभग हर लड़की की शारीरिक बनावट पर टिप्पणी करते हैं. अगर लड़की इस पर आपत्ति जताती है तो वह उससे दुश्मनी मान लेते हैं. प्रोफेसर और प्रशासन के बीच वित्तीय सांठगांठ है. कई सालों से कोई उपकरण नहीं खरीदे गए लेकिन फिर भी करोड़ों रुपये खर्च हो गए". वहीं डीयू में रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष पर भी इस तरह के आरोप लग चुके हैं.