Maharashtra: गर्लफ्रेंड के साथ रेप, लेकिन कोर्ट ने आरोपी को छोड़ा, जानिए पूरा मामला
महाराष्ट्र में ठाणे जिला अदालत ने गर्लफ्रेंड से रेप केस में आरोपी को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप सिद्ध करने में विफल रहा है.
Maharashtra Court News: महाराष्ट्र में ठाणे की एक अदालत ने अपनी महिला मित्र से दुष्कर्म और धोखाधड़ी करने के आरोपी व्यक्ति को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. रचना टेहरा ने शुक्रवार (17 फरवरी) को जारी आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा, इसलिए आरोपी को रिहा करने की जरूरत है.
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि घटना के समय पीड़िता और व्यक्ति की उम्र 21 वर्ष थी, दोनों पालघर जिले के विक्रमगढ़ तालुका में एक ही गांव में रहते थे और 2014 में एक साथ कॉलेज में पढ़ाई करने जाते थे. उस समय दोनों में गहरी मित्रता और प्रेम था. अभियोजन पक्ष के मुताबिक, दोनों के बीच प्रेम संबंध चल रहे थे. उनके अनुसार आरोपी ने अलग-अलग मौकों पर महिला से कथित तौर पर दुष्कर्म किया और उससे शादी करने का वादा किया. मालूम हो कि दोनों कुछ समय के लिए ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ में भी थे.
'मामले में आरोपी को फंसाया गया'
कुछ दिन बाद दोनों अलग-अलग शहरों में रहने लगे. महिला नर्सिंग का कोर्स करने नासिक चली गई. दरअसल जब वह महिला वापस लौटी तो उसे पता चला कि आरोपी ने दूसरी महिला से शादी कर ली है. इसके बाद महिला ने उसके खिलाफ शिकायत दायर की. वहीं, आरोपी का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता सुखदेव पंढारे ने अदालत को अपने दलील में बताया कि उनके मुवक्किल यानी आरोपी को मामले में फंसाया गया है.
'आरोपी को रिहा करने की जरूरत है'
अधिवक्ता ने कोर्ट से गुजारिश करते हुए कहा कि आरोपी पर लगे सारे इल्जाम बेबुनियाद है. आरोपी के अधिवक्ता के मुताबिक, जज ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म) और धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोपी के खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा है, इसलिए उसे रिहा करने की जरूरत है.
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