Money Laundering: क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग? जिसके तहत मनीष सिसोदिया को ED ने किया गिरफ्तार
Money Laundering: मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये काला धन ऐसे कामों में निवेश किया जाता है कि जांच एजेंसियां इसके मुख्य सोर्स का पता नहीं लगा पाती. इसकी हेरफेर करने वाले शख्स को 'लाउन्डरर' कहा जाता है.
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Money Laundering: दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गुरुवार (9 मार्च) को लगभग 8 घंटे की पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया था. शराब नीति में घोटाले को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी की टीम सिसोदिया से पूछताछ के लिए तिहाड़ जेल पहुंची थी. 22 अगस्त, 2022 को ईडी ने सिसोदिया पर शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था और 6 महीने की जांच के बाद सीबीआई ने उनको बीती 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. दिल्ली की कोर्ट ने सोमवार को उन्हें 20 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजा था. आज हम आपको मनी लॉन्ड्रिंग के बारे में विस्तार बताएंगे, जिस मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया है. आइये जानते है कि आखिर क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग?
जानिए मनी लॉन्ड्रिंग के बारे में
अमेरिका में माफिया ग्रुप से उत्पन्न हुआ मनी लॉन्ड्रिंग शब्द साल 1980 के दशक में एक चिंताजनक मामला बन गया था. इन दिनों मनी लॉन्ड्रिंग से भारत की राजनीति में घमासान मचा हुआ है. भारत में मनी लॉन्ड्रिंग को लेनदेन के रूप में जाना जाता है. साल 1990 के दौरान भारत में यह सबसे ज्यादा चर्चा में तब आया था, जब इसमें कई नेताओं के नाम उजागर हुए थे.
अवैध रूप से कमाए गए काले धन को वैध तरीके से दिखाना मनी लॉन्ड्रिंग होता है. अवैध धनराशि को छुपाने का एक तरीका मनी लॉन्ड्रिंग है. मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये से ये काला धन ऐसे कामों में निवेश किया जाता है कि जांच एजेंसियां भी इसके मुख्य सोर्स का पता नहीं लगा पाती हैं. काले धन की हेरफेर करने वाले शख्स को 'लाउन्डरर' कहा जाता है. लॉन्ड्रिंग के पैसे की प्रक्रिया में प्लेसमेंट, लेयरिंग और इंटीग्रेशन तीन चरण शामिल होते हैं.
1. प्लेसमेंट में लाउन्डरर अपने अवैध तरीके से कमाए गए धन को बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थानों में नकद रूप से जमा करता है.
2. लेयरिंग का संबंध धन छुपाने से है. इसमें लाउन्डरर अपनी बैंक पासबुक में गड़बड़ी करता है और अन्य संदिग्ध लेनदेन करके अपनी असली आय को छुपा लेता है. यही लाउन्डरर अपनी धनराशि को बांड, स्टॉक और ट्रैवेलर्स चेक या विदेशों में अपने बैंक खातों में जमा करा देता है. यह खाता अक्सर ऐसे देशों की बैंकों में खोला जाता है जो कि मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी अभियानों में सहयोग नही करते हैं.
3. इंटीग्रेशन प्रकिया के माध्यम से बाहर भेजा पैसा या देश में खपाया गया पैसा वापस लाउन्डरर के पास वैध धन के रूप में आ जाता है. ऐसा धन अक्सर किसी कंपनी में निवेश,अचल संपत्ति खरीदने, लक्जरी सामान खरीदने आदि के माध्यम से वापस आता है.
मनी लॉन्ड्रिंग करने के तरीके
मनी लॉन्ड्रिंग करने के काफी तरीके होते हैं, जिनमे सबसे अहम फर्जी कंपनी (शैल कंपनी) बनाना होता है. ये कंपनियां एकदम वास्तविक कंपनी की तरह ही होती हैं, लेकिन वास्तव में इसमें ना कोई संपत्ति लगी होती है और ना ही कोई उत्पादन कार्य होता है. ये शैल कंपनियों का अस्तित्व सिर्फ कागजों पर ही होता है. शैल कंपनियों की बैलेंस शीट में लाउन्डरर बड़े लेनदेन को दिखाकर कंपनी के नाम पर लोन लेता है और सरकार से टैक्स में छूट लेता है. इसके साथ ही, आयकर रिटर्न नही भरता और ऐसे फर्जी कामों के जरिये बहुत सारा काला धन जमा कर लेता है. अगर, कोई थर्ड पार्टी इसकी जांच करने आती है तो जांच को भ्रमित करने के लिए उन्हें धन के स्रोत और स्थान के रूप में झूठे दस्तावेजों को दिखाया जाता है.
मनी लॉन्ड्रिंग का एक तरीका ये भी होता है जब लाउन्डरर कई माध्यमों से अपना काला धन ऐसे देशों की बैंकों में जमा कराता है, जहां पर उसके अकाउंट की जांच का अधिकार उस देश की सरकार को नहीं होता. उदाहरण के तौर पर माना जाता है कि स्विटजरलैंड के स्विस बैंकों में भारतीय लोगों का काफी काला धन जमा है, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग करके कमाया गया है.
भारत में मनी-लॉन्ड्रिंग के कानून
साल 2002 में भारत में मनी-लॉन्ड्रिंग कानून अधिनियमित किया गया था. लेकिन इसमें 3 बार संशोधन हुआ है, जो साल 2005, 2009 और 2012 में किया जा चुका है. साल 2012 के आखिरी संशोधन को राष्ट्रपति की अनुमति 3 जनवरी, 2013 को मिली थी, जिसे 15 फरवरी से लागू किया गया. पीएमएलए (संशोधन) अधिनियम, 2012 ने अपराधों की लिस्ट में धन छुपाना, धन अधिग्रहण, कब्ज़ा और धन का क्रिमिनल कामों में उपयोग आदि को शामिल किया है. ईडी मनी लॉन्ड्रिंग मामलों की जांच करती है.
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