जिंदा बच्चे को मुर्दा बताकर अस्पताल ने घरवालों को किया पार्सल
व्यवस्था से मार खाए परिजनों का दुख का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ. इसी दिल्ली की पुलिस ने भी उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया.
नई दिल्ली: जब व्यवस्था धोखेबाजी और लापरवाही पर उतर जाए तब लोगों के बीच डर का अंधकार कायम हो जाता है. भरोसे के कत्ल की एक ऐसी खबर सामने आई है कि जिसे पढ़ते पढ़ते आपकी रुह कांप जाएगी और आपका भी भरोसा धरती के भगवान माने जाने वाले डॉक्टरों पर से चरमराने लगेगा. विश्वास का गला घोंटती यह दर्दनाक खबर देश की राजधानी दिल्ली से आई है.
दरअसल दिल्ली के जाने माने मैक्स अस्पताल ने एक जिंदा बच्चे को ही मुर्दा घोषित कर दिया. हॉस्पिटल में एक 20 साल की महिला को जुड़वा बच्चे पैदा हुए जिनमें से एक बच्ची की मौत जन्म के साथ ही हो गई लेकिन दूसरा बच्चा ज़िंदा था. इस जिंदा बच्चे का इलाज शुरू किया गया. इसके महज़ एक घंटे बाद अस्पताल ने परिजनों को जानकारी दी कि दूसरे बच्चे की भी मौत हो गई है. ये खबर सुनते ही मासूम के मां-बाप को गहरा सदमा लगा.
बच्चे को मरा हुआ करार देकर अस्पताल ने दोनों की डेड बॉडी को पार्सल के पैकेट में पैक करके घरवालों के सुपुर्द कर दिया. लेकिन जब बच्चों की लाश को ले जाया जा रहा था तभी पैकेट के अंदर हलचल महसूस हुई. यह देख बच्चे को तुरंत दूसरे अस्पताल ले जाया गया. दूसरे अस्पताल में जांच के बाद सब सकते में पड़ गए क्योंकि दोनों में से एक बच्चे में जान बाकी थी.
बच्चे के नाना प्रवीण ने कहा, "रास्ते में हलचल हुई. हमने पार्सल फाड़ा जिसमें कागज और कपड़े में बच्चा था और उसकी सांसें चल रही थीं. हम (उसे) तुरंत पास के ही नजदीकी अग्रवाल अस्पताल में ले गये. परिवार ने तुरंत पुलिस को भी सूचना दी."
व्यवस्था से मार खाए परिजनों का दुख का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ. इसी दिल्ली की पुलिस ने भी उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया. परिजनों का कहना है कि पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की. वहीं पुलिस का कहना है मेडिकल की लीगल सेल को मामला बढ़ा दिया गया है. यही सेल मामले की जांच करेगी जिसके बाद ही आगे का मामला दर्ज होगा.
वहीं इस पूरे मामले में मैक्स हॉस्पिटल ने मीडिया के कैमरे का सामना करने से मना कर दिया है और फिलहाल दो प्वाइंट्स वाले एक मेल के जरिये उन्होंने अपना पक्ष रखा है. अस्पताल का कहना है कि जांच शुरू कर दी गई है और जुड़वां बच्चों के परिजनों से अस्पताल लगातार संपर्क में है.
अब सवाल ये है कि अगर जांच के बाद मामला सच साबित होता है तो ये सोचने वाले बात होगी कि ये घटना कितने लोगों के साथ हुई होगी. अगर बच्चों के नाना ने ध्यान नहीं दिया होता तो वह जिंदा ही दफ्न हो जाता.