Gangster Mukhtar Ansari: देश का सबसे सबसे खूंखार आपराधिक गैंग मुख्तार अंसारी का गैंग है. ये टिप्पणी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने की है, जब वो हत्या के मामले में मुख्तार गैंग के सदस्य की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रहा था. इसके साथ ही, हाई कोर्ट ने हत्या के आरोपित रामू मल्लाह को जमानत देने से साफ मना कर दिया.


हाई कोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ रामू मल्लाह की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी. रामू मल्लाह की जमानत अर्जी खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि ऐसे अपराधी को जेल से बाहर जाने की अनुमति दी जाएगी तो वह निश्चित रूप से गवाहों को प्रभावित करने का काम करेगा और गवाहों का निष्पक्ष और सच्चा बयान संभव नहीं हो पाएगा.


सरकार ने किया जमानत अर्जी का विरोध


सरकार ने रामू मल्लाह की जमानत अर्जी का विरोध किया था और कहा कि वो मुख्तार गैंग का सदस्य है और उसके खिलाफ गंभीर धाराओं में 8 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. एक सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया था कि रामू मल्लाह के खिलाफ हत्या, आर्म्स एक्ट सहित गंभीर धाराओं में गाजीपुर कोतवाली में छह और मऊ के दक्षिण टोला थाने में मुकदमे दर्ज हैं.


रामू ने मऊ के दक्षिण टोला थाने में दर्ज हत्या के मुकदमे को लेकर जमानत अर्जी दाखिल की थी. इस पर हाई कोर्ट ने मुख्तार गैंग का सदस्य और आपराधिक इतिहास के आधार पर रामू की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामलों में रामू मल्लाह के अलावा मुख्तार अंसारी सहित कई अन्य लोग आरोपित हैं. रामू जैसे खूंखार अपराधी के खिलाफ जाकर कोई भी गवाही नहीं देगा, अगर किसी ने ऐसा किया तो गवाहों को गायब किया गया या उन्हें पक्ष द्रोही साबित कर दिया गया. इसलिए ज्यादातर मामलों में रामू को बरी कर दिया गया. 


हाई कोर्ट ने इस बात पर जताई हैरानी


खूंखार अपराधी रामू मल्लाह की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसकी पहले मिली जमानत पर हैरानी जताते हुए कहा कि चौंकाने वाली बात कि साल 2013 में इसी हाई कोर्ट की एक को-ऑर्डिनेट बेंच ने रामू मल्लाह को जमानत दी और उसे रिहा कर दिया था. रिहाई के बाद रामू ने कोर्ट के साथ धोखाधड़ी की थी. मुकदमे के दौरान वो फरार हो गया था और जमानत आवेदन पर अपना पता गलत दिया था. इसके अलावा, ग्राम प्रधान का जाली प्रमाणपत्र भी पेश किया गया था.


सालों से जेल में बंद है मुख्तार


पूर्वांचल का माफिया डॉन मुख्तार अंसारी काफी सालों से जेल में बंद है. अपराध के साथ यूपी की राजनीति में भी मुख्तार दशकों तक छाया था. एक जमाने में यूपी की राजनीति में मुख्तार और उसके परिवार का डंका बजता था.


मऊ से लगातार पांच बार विधायक रहने के बाद साल 2022 के विधानसभा चुनाव में उसने खुद की जगह अपने बेटे अब्बास अंसारी को चुनावी मैदान में खड़ा किया, जिसने जीत हासिल की थी. राज्य के विभिन्न कोर्ट में हत्या, हत्या की कोशिश, दंगे भड़काने, साजिश रचने, धमकी देने, संपत्ति पर कब्जा करने, धोखाधड़ी और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने जैसे कई केस मुख्तार के खिलाफ दर्ज हैं. वहीं, विधायक बनने के बाद मुख्तार का बेटा अब्बास भी जेल में बंद है.


मुख्तार का परिवार 


मुख्तार का परिवार काफी ज्यादा नामी और रसूखदार रहा है. उसके खानदान के लोगों की सियासत में भी अच्छी खासी पैठ रही है. मुख्तार के परिवार में लोग बड़े-बड़े पदों पर रहे हैं. मुख्तार के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान साल 1926-1927 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और महात्मा गांधी के सबसे करीबी माने जाते थे. मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर उस्मान थे, जो महावीर चक्र विजेता थे. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार अंसारी के चाचा हैं.


मुख्तार के खिलाफ दर्ज मुकदमे


यूपी पुलिस के मुताबिक, मुख्तार अंसारी गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने का हिस्ट्रीशीटर है और उसके खिलाफ प्रदेश के कई जनपदों में 52 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से 15 मुकदमे विचाराधीन हैं. पूर्वांचल में कई जगह अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले मुख्तार ने प्रदेश के कुख्यात अपराधियों और शूटरों का गैंग बनाकर समीपवर्ती राज्य बिहार के शहाबुद्दीन गैंग से संपर्क जोड़ा और अपना मजबूत अपराधिक साम्राज्य स्थापित किया. अपने आतंक के चलते पूर्वांचल की कोयल मंडी और ठेकों पर मुख्तार ने करोड़ों की मासिक उगाही की और व्यापारियों को धमकी देकर उनसे भी गुंडा टैक्स की वसूलता रहा है.


अवधेश राय हत्याकांड में आया मुख्तार का नाम


बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के गैंग के बीच पुरानी दुश्मनी के किस्से पूर्वांचल में काफी मशहूर हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1991 में वाराणसी के पिंडारा से विधायक रहे अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या हुई थी. इस हत्याकांड में मुख्तार और उसके गैंग का नाम आया था. इस हत्याकांड के बाद पूर्वांचल में शुरू गैंगवार में कई जानें गईं. इस दौरान, साल 1996 में मुख्तार पहली बार विधायक बना और राजनीतिक पहुंच के चलते बृजेश सिंह के पीछे पुलिस पड़ गई.


उसरी चट्टी कांड


दुश्मनी के इस दौर में 15 जुलाई, 2001 की दोपहर 12:30 बजे उसरी चट्टी कांड हुआ था. अपने सहयोगियों के साथ मऊ के तत्कालीन विधायक मुख्तार अंसारी अपने निर्वाचन क्षेत्र में निकला था. मुहम्मदाबाद क्षेत्र के उसरी चट्टी के पास घात लगाए बैठे हमलावरों ने मुख्तार और टीम पर हथियारों से हमला कर दिया, मुख्तार को बचाने में उसके सरकारी गनर रामचंदर की गोली लगने से मौत हो गई थी और मुख्तार के साथी रुस्तम ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. इस घटना में मुख्तार अंसारी पर हमला करने वाला एक हमलावर भी मारा गया था, जबकि कई घायल हो गए थे. इस मामले में बृजेश सिंह, त्रिभुवन और अनिल सिंह नामजद समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया. आरोपी अनिल सिंह की मौत हो चुकी है.


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