नई दिल्लीः मुंबई में सरकारी अस्पताल में जूनियर डॉक्टर पायल तड़वी को जातिगत टिप्पणियों से परेशान कर आत्महत्या के लिए मजबूर करने की आरोपी डॉक्टर को आज गिरफ्तार कर लिया गया. पायल तड़वी ने 22 मई को खुदकुशी कर ली थी. उसके परिवार का आरोप है कि चिकित्सकों ने उसके अनुसूचित जनजाति का होने को लेकर ताने मारे थे. पुलिस ने बताया कि 26 वर्षीय पायल तड़वी के 22 मई को आत्महत्या करने के बाद मामला दर्ज किया गया था.
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अग्रीपाडा पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद भक्ति मेहारे को गिरफ्तार कर लिया. मेहारे उन तीन वरिष्ठ डॉक्टरों में से एक है जिनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. तीनों डॉक्टरों पर अत्याचार कानून, रैगिंग विरोधी कानून और आईटी कानून और आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. अधिकारी ने बताया कि दो अन्य आरोपी डॉक्टर अंकिता खंडेलवाल और हेमा आहूजा ने यहां सत्र अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दी. इसके अलावा पायल सुसाइड केस के तीनों मुख्य आरोपी डॉ भक्ति मेहारे, डॉ अंकिता खंडेलवाल, डॉ हेमा आहूजा और एचओडी को सस्पेंड कर दिया गया है.
पायल के माता-पिता ने किया प्रदर्शन
इस बीच, पायल के माता-पिता ने मुंबई में उस सरकारी अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया जहां वह काम करती थी. अन्य प्रदर्शनकारी भी तड़वी की मां आबिदा और पति सलमान के साथ प्रदर्शन में शामिल हुए और तीन वरिष्ठों के खिलाफ “कड़ी कार्रवाई” की मांग की जिन्होंने कथित तौर पर “रैगिंग और जातीय टिप्पणियां कर उसे प्रताड़ित किया” और यह कदम उठाने के लिये बाध्य किया. आबिदा ने कहा कि क्या सरकार उनकी बेटी की तरह की छात्राओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगी जो उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पायलट उनके समुदाय की पहली महिला एमडी डॉक्टर होती. उन्होंने कहा, ‘‘पायल तुच्छ मुद्दों को लेकर अपने वरिष्ठ डॉक्टरों की प्रताड़ना के बारे में मुझे बताती थी. उन्होंने मरीजों के सामने उसके चेहरे पर फाइलें फेंककर मारी.’’
आबिदा ने कहा, ‘‘पायल मुझसे वरिष्ठ डॉक्टरों की प्रताड़ना के बावजूद उनके खिलाफ लिखित शिकायत ना देने के लिए कहती थी. वह कहती थी कि ऐसा करने से उनके करियर पर खराब असर पड़ेगा.’’ पेशे से डॉक्टर सलमान ने कहा कि यह संभव है कि तीन महिला डॉक्टरों ने पायल की हत्या की.
महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने लिया संज्ञान
महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया और अस्पताल अधिकारियों को नोटिस जारी कर आठ दिन के अंदर यह बताने को कहा है कि उन्होंने रैगिंग विरोधी कानून को लागू करने के लिये क्या कदम उठाए.
आरोपी तीनों डॉक्टर्स ने की निष्पक्ष जांच की मांग
उधर तड़वी को खुदकुशी के लिये उकसाने की आरोपी तीन महिला चिकित्सकों ने मामले में “निष्पक्ष जांच” की मांग की है. महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) को लिखे एक खत में अंकिता खंडेलवाल, हेमा आहूजा और भक्ति मेहारे ने कहा कि वे चाहती हैं कि कॉलेज इस मामले में निष्पक्ष जांच करे और उन्हें “न्याय दे”. तीनों चिकित्सकों ने पत्र में कहा, “पुलिस बल और मीडिया के दबाव में जांच करने का यह तरीका नहीं है. इसमें हमारा पक्ष नहीं सुना जा रहा.’’ एमएआरडी ने तीनों चिकित्सकों को निलंबित कर दिया है.
एमएआरडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारे पास पुख्ता जानकारी है कि तीनों चिकित्सकों ने डॉ. पायल तड़वी के खिलाफ जातिगत टिप्पणियां कीं. हम इस मामले में आगे की जांच के लिये पुलिस का सहयोग करेंगे.
ठाणे और पालघर में हुए प्रदर्शन
इस बीच, पायल तड़वी की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर मंगलवार को महाराष्ट्र के ठाणे और पालघर में दो अलग-अलग रैलियां निकाली गईं. श्रमजीवी संगठन के बैनर तले ये रैलियां निकाली गईं. प्रदर्शनकारियों ने ठाणे और पालघर में जिलाधीशों से मुलाकात की और डॉक्टर तड़वी की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर उन्हें ज्ञापन सौंपा. प्रदर्शनकारियों और तड़वी के परिजनों के साथ अपनी एकजुटता दिखाते हुए भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि अगर “हमारी छोटी बहन के लिये न्याय की लड़ाई में” जरूरत हुई तो वह भी महाराष्ट्र का दौरा करेंगे. महारष्ट्र के भीम आर्मी संगठन के नेता अशोक कांबल का कहना है कि अगर 30 तारीख तक इस केस में अन्य दो महिला आरोपियों की गिरफ्तारी नही होती है तो मुम्बई सहित पूरे देश भर में आंदोलन करेंगे. चंद्रशेकर आज़ाद भी इस आंदोलन में शामिल होंगे.
राष्ट्रीय महिला आयोग ने अस्पताल को भेजा नोटिस
इसके अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने मंगलवार को कहा कि वह महाराष्ट्र में एक महिला डॉक्टर की कथित आत्महत्या की घटना से ‘‘अत्यंत व्यथित’’ है और मामले की जांच की जानी चाहिए. एनसीडब्ल्यू ने कहा कि उसने टोपीवाला मेडिकल कॉलेज और बीवाईएल नायर अस्पताल को नोटिस भेजा है. आयोग ने कहा, ‘‘यह गंभीर चिंता का मामला है, मामले की गंभीरता को देखते हुए यह आग्रह किया जाता है कि मामले की जांच की जाए और मामले में की गई कार्रवाई के बारे में आयोग को अवगत कराया जाए.’’