मीडिया में 20 जनवरी को आयी एक खबर का हवाला देते हुए आयोग ने कहा है कि 12 जनवरी को रात करीब साढ़े ग्यारह बजे भेल अस्पताल में डॉक्टरों ने 44 वर्षीय एक मरीज को मृत घोषित कर दिया था. अगले दिन जब उसका पोस्टमार्टम किया गया तो पता चला कि वह डाक्टरों द्वारा मृत घोषित किये जाने के आठ घंटे बाद तक जिंदा था. उसे 12 जनवरी को छाती में दर्द और बेहोश होने के बाद भेल अस्पताल में लाया गया था.
खबर का स्वत: संज्ञान लेते हुए एनएचआरसी ने भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) और हरिद्वार भेल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को नोटिस जारी कर उनसे छह हफ्ते में डॉक्टरों पर की गयी कार्रवाई तथा पीड़ित परिवार को प्रदान की गयी राहत पर रिपोर्ट मांगी है.
उसने एक एक बयान में कहा, संभव था कि यदि समय पर उपयुक्त इलाज किया गया होता तो उस व्यक्ति की जान बचायी जा सकती थी. बहुमूल्य मानव जीवन खो गया. डॉक्टरों की अमानवीय हरकत ने उस व्यक्ति के जीवन और स्वास्थ्य सुविधा के अधिकार का उल्लंघन किया.