निर्भया कांड : फांसी की सजा पा चुके दरिंदों को लग रहा है 'डर', बदली गई 'कालकोठरी'
नई दिल्ली : देशभर को झंकझोर कर रख देने वाले निर्भया कांड में एक चौंकाने वाली सूचना आई है. फांसी की सजा पा चुके चार में से दो आरोपियों को जेल में 'डर' सताने लगा है. डर इतना है कि तिहाड़ के अंदर ही उन्हें दूसरे सेल में भेज दिया गया है.
तिहाड़ जेल में एक अलग सेल में स्थानांतरित कर दिया गया
दिल्ली के 16 दिसम्बर सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में फांसी की सजा पाये चार दोषियों में से दो को तिहाड़ जेल में एक अलग सेल में स्थानांतरित कर दिया गया है. दोनों ने एक अन्य कैदी से खतरा होने की बात आशंका व्यक्त की थी.
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पवन गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह की अर्जी पर कार्रवाई हुई
यह जवाब दो दोषियों पवन गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह की अर्जी पर आया. उन्हें पिछले साल 24 दिसम्बर को दोषियों को एक सामान्य सेल में एक अन्य कैदी के साथ स्थानांतरित किया गया था. जो उन्हें कथित तौर पर शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था.
11 जनवरी को एक अलग सेल में स्थानांतरित कर दिया गया है
पुलिस उपाधीक्षक संजय गुप्ता ने विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल को बताया कि दोनों कैदियों को 11 जनवरी को एक अलग सेल में स्थानांतरित कर दिया गया है. अदालत ने कहा, ‘इन परिस्थितियों में चूंकि दोनों कैदियों की शिकायतों का पहले ही उनके वकील के संतोष के अनुरूप समाधान हो चुका है, अर्जी का निस्तारण किया जाता है.’
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ऐसा आरोपी राम सिंह की आत्महत्या को ध्यान में रखते हुए किया
सुनवायी के दौरान जेल अधिकारी ने कहा कि कैदियों को 16 दिसम्बर, 2012 घटना की बरसी के बाद एक अन्य सेल में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां कैमरे लगे हुए हैं. ऐसा आरोपी राम सिंह की आत्महत्या को ध्यान में रखते हुए किया गया.
अलग सेल में स्थानांतरित कर दिया है उन्हें कोई शिकायत नहीं है
दोनों कैदियों की ओर से अर्जी दायर करने वाले अधिवक्ता ए पी सिंह ने कहा कि दोनों को अपनी जान का भय था. क्योंकि, आशंका थी कि उन्हें अन्य कैदी द्वारा नुकसान पहुंचाया जा सकता है. चूंकि जेल अधिकारियों ने उन्हें अलग सेल में स्थानांतरित कर दिया है उन्हें कोई शिकायत नहीं है.
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सजा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 मार्च 2014 को बरकरार रखा
पवन, अक्षय, विनय शर्मा और मुकेश को एक निचली अदालत ने 10 सितम्बर 2013 को 16 दिसम्बर 2012 सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में दोषी ठहराकर मौत की सजा सुनायी थी. उनकी सजा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 मार्च 2014 को बरकरार रखा था. उनकी अपील उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं.