दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने चंबल से लेकर संसद तक का सफर ऐसे तय किया
आज की पीढ़ी के लोग भले ही फूलन देवी को नहीं जानते हैं लेकिन 80 के दशक में फूलन देवी की दहशत चरम पर थी. उनकी जिंदगी का सफर बेहद रोमांचक रहा है.
नई दिल्ली: दस्यु सुंदरी फूलन देवी, कभी इस नाम की पूरे चंबल में दहशत हुआ करती थी. समर्पण के बाद फूलन देवी ने चंबल से लेकर संसद तक का सफर तय किया. गांव देहातों में होने वाली नौंटकी के मंचों से लेकर सिल्वर स्क्रीन तक फूलन देवी के चर्चे हो चुके हैं. आज की पीढ़ी के लोग भले ही फूलन देवी को नहीं जानते हैं लेकिन 80 के दशक में फूलन देवी की दहशत चरम पर थी. फूलन के नाम पर सरकार तक हिल जाती थी. कौन थीं फूलन देवी आइए जानते हैं-
फूलन देवी का जीवन
फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 में यूपी के जालौन जनपद के एक छोटे से गाँव गोरहा में हुआ था. फूलन के पिता एक मल्लाह थे. फूलन देवी की शादी 11 साल की उम्र में ही कर दी गई थी. कुछ समय बाद उनके पति ने उन्हें छोड़ दिया था.
ऐसे बनी दस्यु सुंदरी
फूलन देवी के दस्यु यानि डकैत बनने की कहानी हिंदी फिल्मों से मेल खाती है. बचपन में फूलन पर हुए अत्याचार और सगे चाचा द्वारा पिता की जमीन हड़प लेने और रेप की घटनाओं ने मिलकर फूलन देवी को एक डकैत बनने पर मजबूर कर दिया. अपने ऊपर हुए जुल्म का बदला लेने के लिए फूलन देवी हथियार लेकर चंबल में कूद पड़ीं. चंबल में उस समय विक्रम मल्लाह गैंग की दहशत थी. 1994 में निर्देशक शेखर कपूर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में विक्रम मल्लाह का रोल अभिनेता निर्मल पांडे ने निभाया था. अभिनेत्री सीमा विश्वास ने इस फिल्म में फूलन देवी का किरदार निभाया था.
बेहमई कांड
14 फरवरी 1981 को देश के सबसे चर्चित हत्याकांडों में से एक बेहमई कांड को फूलन देवी ने अजांम दिया. फूलन देवी और उनके गिरोह के सदस्यों ने गांव के 20 लोगों को एक लाइन में खड़ाकर गोलियों से भून दिया. इस हत्याकांड की गूंज देश भर में सुनी गई. खास बात ये रही कि बेहमई कांड के दो साल बाद भी पुलिस फूलन देवी को नहीं पकड़ सकी. बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार ने फूलन देवी को आत्मसमर्पण और बातचीत के लिए विवश किया.
1983 में फूलन ने किया समर्पण
1983 में फूलन देवी ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. आत्मसमर्पण को लेकर फूलन ने एक शर्त रखी कि वह पुलिस के अधिकारियों के सामने हथियार नहीं रखेगीं. फूलन देवी ने कहा कि वे अपने हथियार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और दुर्गा माता के सामने ही समर्पण करेगी. इस मामले की सुनवाई आज भी कोर्ट में चल रही है. 18 जनवरी को इस केस की सुनवाई है.
चंबल से सांसद तक
1996 में फूलन देवी उत्तर प्रदेश की भदोही लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बनी और दिल्ली पहुंची. समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव उन्हें राजनीति में लेकर आए.
दिल्ली आवास के पास की गई हत्या
फूलन देवी की 25 जुलाई 2001 को दिल्ली स्थित उनके आवास के बाहर ही शेर सिंह राणा नाम के व्यक्ति ने हत्या कर दी थी.
बेहमई कांड पर फैसला टला, अब 18 जनवरी को कानपुर देहात की स्पेशल डकैती कोर्ट सुनाएगी फैसला