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Hathras Incident: हाथरस केस में पुलिस लापरवाही से लेकर सीबीआई जांच तक... जानें पूरी कहानी

Hathras Incident: कोर्ट ने हाथरस कांड के एक दोषी संदीप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने आरोपी को आईपीसी एक्ट 304 और एससी-एसटी एक्ट के तहत दोषी माना है.

Hathras Incident: यूपी के हाथरस में 14 सितंबर, 2020 को हुए कांड को लेकर करीब ढाई साल बाद कोर्ट का फैसला आ गया है. अपने फैसले में एससी-एसटी कोर्ट ने हाथरस कांड के एक आरोपी संदीप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने आरोपी संदीप को आईपीसी एक्ट 304 और एससी-एसटी एक्ट के तहत दोषी माना है. हालांकि, उस पर दुष्कर्म का आरोप सिद्ध नहीं हो पाया है. इसके अलावा, इस मामले में कोर्ट ने तीन आरोपियों को बरी कर दिया है. आइए विस्तार से जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी और अब तक क्या-क्या हुआ?

ढाई साल पहले हुआ था गैंगरेप

यूपी के हाथरस के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर, 2020 को एक 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ चार लोगों ने मिलकर कथित तौर पर गैंगरेप किया था. दिल्ली में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी. पीड़िता के परिजनों का आरोप था कि 29-30 सितंबर की रात को बगैर परिवार की मंजूरी के शव का अंतिम संस्कार किया गया. इसके बाद से इस मुद्दे में सियासी दल घुस गए और जमकर राजनीति भी हुई.

क्या थी हाथरस कांड की पूरी कहानी

14 सितंबर को गांव के खेत में लड़की और उसकी मां काम कर रही थीं. दोनों के बीच करीब 100 मीटर की दूरी थी. इस दौरान लड़की के चीखने की आवाज आती है, जिसे सुनकर उसकी मां दौड़ती है. वहां पहुंचने पर वो बेटी को लहूलुहान हालत में देख दुपट्टे से उसको ढकती है. उस लड़की की जीभ कटी हुई होती है. इसके बाद पीड़ित लड़की, उसकी मां और भाई चंदपा थाने पहुंचकर बयान देकर अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता की शिकायत दर्ज करने में पुलिस ने देरी की थी और उसके परिवार से उसे थाने से ले जाने को कहा. पीड़िता का भाई दावा करता है कि उसकी बहन के साथ संदीप ने ही ऐसा गलत काम किया है. इसके बाद, पीड़ित लड़की को पुलिस अपनी जीप में लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाती है, जहां डॉक्टर कहते हैं कि उसकी हालत गंभीर है और यहां पर इलाज की सुविधा नहीं है. इस दौरान पीड़िता को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में रेफर किया जाता है. यहां पर दर्ज की गई मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया कि पीड़िता के परिजनों ने गर्दन में चोट लगने का आरोप लगाया था.  

गैंगरेप का जिक्र नहीं

जानकारी के अनुसार, इस मामले में 15 सितंबर को केस दर्ज हुआ, जिसमें मामले की वजह आरोपी और पीड़ित के बीच पारिवारिक झगड़ा बताई गई. रिपोर्ट के मुताबिक, मां के साथ पीड़ित लड़की जानवरों के लिए चारा ला रही थी. उसी वक्त एक युवक आकर पीड़िता के ऊपर बैठ गया और उसको घसीटा और गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की. इस पर पीड़िता के चीख पुकार करने से आरोपी फरार हो गया. इस पर पीड़िता के भाई ने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.

अखबारों में छपी खबरों के अनुसार पीड़िता के साथ गैंगरेप का कोई उल्लेख नहीं था. वहीं, आरोपी की पहचान संदीप के तौर पर हुई थी. इस बाबत पुलिस ने दावा किया कि बहुत दिनों से दोनों पक्षों में पारिवारिक विवाद चल रहा था, जिसका केस कोर्ट में चल रहा था. इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया और आरोपितों की जल्दी गिरफ्तारी का आश्वासन दिया.

पीड़ित लड़की को आया होश

पीड़ित लड़की की हालत 19 सितंबर को बिगड़ती है और वह होश में आकर अपने परिवार से बात करती है. वहीं, उसी दिन जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में पीड़िता का बयान दर्ज हुआ, जिसमें पीड़िता ने संदीप समेत दो अन्य लोगों का नाम लेकर छेड़छाड़ करने का दावा किया. पीड़िता के बयान के आधार पर पुलिस ने धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 354 (छेड़छाड़) के तहत कार्रवाई शुरू कर संदीप को गिरफ्तार कर लिया.

इसी दिन कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने पीड़िता से मुलाकात की. इसके बाद पीड़िता की आरोपों की लिस्ट में छेड़खानी को जोड़ा गया और बताया गया कि घटना के आठ दिन बाद पहली बार दुष्कर्म के आरोप सामने आए, जिसमें आरोपियों की लिस्ट में तीन नामों को जोड़ा गया. रिपोर्ट में बताया गया कि कांग्रेस नेता श्योराज जीवन के परिवार से मिलने के बाद पीड़िता से मिले थे, जिसके बाद इस घटना की कहानी बदलने लगी. 

पीड़िता की मौत के बाद जबरन अंतिम संस्कार का आरोप

22 सितंबर को एक रिपोर्ट में बताया गया कि हाथरस में दलित लड़की के साथ कथित रूप से चार उच्च जाति के लोगों ने गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया और फिर उसका गला दबाने का प्रयास किया गया. इस घटना के बाद पीड़ित लड़की को आईसीयू में भर्ती कराया गया. इसी दिन पीड़ित लड़की ने बयान दिया था, जिसके आधार पर तीन लोगों का नाम आरोपियों की लिस्ट में जोड़ा गया. इसके बाद 26 सितंबर को इलाज के लिए पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में रेफर किया गया.

उधर, चारों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. 29 सितंबर को पीड़िता की मौत हो गई, जिसको लेकर भीम आर्मी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हॉस्पिटल के बाहर विरोध और प्रदर्शन किया. पीड़िता के शव को हाथरस में उसके पैतृक गांव लाया गया. पुलिस पर आरोप लगाए गए कि रात में करीब 03:00 बजे हाथरस डीएम के आदेश पर अधिकारियों ने पीड़िता का जबरन अंतिम संस्कार कर दिया. जबकि, अंतिम संस्कार के वक्त पीड़िता का परिवार मौजूद नहीं था. 

पुलिस के मुताबिक नहीं हुआ गैंगरेप

इस मामले पर पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म होने के कोई निशान नहीं मिले थे. मौत के बाद आईपीसी की धारा 302 (हत्या) भी जोड़ी गई और एससी/एसटी एक्ट के अंतर्गत पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का आर्थिक मुआवजा दिया गया. पुलिस ने दावे से कहा कि ना ही पीड़िता की जीभ काटी गई और ना ही रीढ़ की हड्डी टूटी थी. साथ ही बताया गया कि देर रात पीड़िता के पिता और परिवार के अन्य सदस्यों ने उसका अंतिम संस्कार किया. किसी-किसी रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि बिना परिवार की मंजूरी के ही अंतिम संस्कार किया गया. वहीं, पीड़िता के भाई ने बताया कि पुलिस ने ही शव को श्मशान घाट ले जाने के लिए उन पर दबाव बनाया था.

सीएम योगी ने दिए एसआईटी जांच के आदेश

सीएम  योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को लेकर एसआईटी जांच के आदेश दिए थे. हाथरस कांड को लेकर देशभर में हंगामा मच गया और कई जगहों पर भारी विरोध प्रदर्शन हुए. इस मामले के कई तथ्य सोशल मीडिया पर भी आने लगे. पुलिस की कार्रवाई पर सीधे तौर पर सवाल खड़े किए जाने लगे. सोशल मीडिया पर ऐसे भी वीडियो आए, जिसमें पीड़िता की मां ने शुरुआत में सिर्फ एक शारीरिक हमले की बात की थी और दुष्कर्म होने का कोई जिक्र नहीं किया था.

उधर, एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ, क्योंकि फॉरेंसिक रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर से लिए गए नमूनों में शुक्राणु नहीं मिला है और यही बात पोस्टमॉर्टम में भी सामने आई थी.

प्रियंका गांधी ने किया दबाव बनाने का दावा

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी पीड़िता के पिता का एक वीडियो शेयर करते हुए उन पर दबाव डाले जाने का दावा किया था. इसके अलावा, पीड़िता के पिता ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग उठाई थी.

उधर, 2 अक्टूबर को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर सीएम योगी ने जिले के एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर और अन्य अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था. साथ ही, आरोपी, शिकायतकर्ता और मामले में शामिल पुलिसवालों के नार्को पॉलीग्राफ टेस्ट का आदेश दिया था. 

पीड़िता की मां नहीं चाहती थी सीबीआई जांच

3 अक्टूबर को एसआईटी की जांच पूरी हुई और उसी दिन पीड़िता की मां ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि सीबीआई इस मामले की जांच करे. हम बस इतना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में एक टीम इसकी जांच करे. पीड़िता की मां ने कहा कि उनका परिवार नार्को टेस्ट नहीं कराएगा. क्योंकि उनको नार्को टेस्ट के बारे में जानकारी नहीं थी. इसको लेकर एक कांग्रेस समर्थक साकेत गोखले ने पीड़ित परिवार के नार्को टेस्ट कराने से जांच अधिकारियों को रोकने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी. उसी दिन सीएम योगी सीबीआई जांच के आदेश दिए थे, जिसका पीड़िता के भाई ने विरोध किया था. उस वक्त एसआईटी की जांच भी चल रही थी और पीड़िता के भाई ने अनाप-शनाप बयान भी दिया था.

कोर्ट में एक आरोपी दोषी और तीन हुए बरी

अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों की सीबीआई ने पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग की. सीबीआई ने जांच पड़ताल के बाद 18 दिसंबर, 2020 को हाथरस कांड के चारों आरोपियों के खिलाफ एससी-एसटी कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया और 2 मार्च, 2023 को कोर्ट ने इस मामले में एक आरोपी संदीप को दोषी मानकर बाकी के तीन आरोपियों को बरी कर दिया.

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