नई दिल्ली: 15 साल की सौतेली बेटी के साथ रेप करके उसे प्रेगनेंट करने वाले पिता को मिली उम्रकैद की सजा को बांबे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने बरकरार रखा है और उसे किसी भी प्रकार की रियायत देने से इंकार किया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जब रक्षक ही अपराधी बन जाए तो उसे इसकी सजा भी मिलनी चाहिए.

ये है पूरा मामला

11 साल की बच्ची के मां की मौत के बाद उसकी सारी जिम्मेदारी उसके सौतेले पिता के पास थी. लेकिन जब वह लड़की 15 साल की हुई तो सौतेले पिता ने लड़की के साथ रेप करना शुरू कर दिया. फरवरी 2014 में जब यह पता लगा कि लड़की प्रेगनेंट है उस समय वह 7वीं कक्षा में पढ़ रही थी.

लगातार मिल रही यातनाओं से परेशान होकर एक दिन लड़की ने पड़ोसियों से सारी बात बता दी. मेडिकल की जांच से पता चला कि लड़की प्रेगनेंट है और उसके बाद आरोपी पिता के खिलाफ वर्धा पुलिस ने शिकायत दर्ज की. घटना के बाद पीड़िता को पुलिस की निगरानी में रिमांड होम में रखा गया था जहां उसने एक बच्चे को जन्म दिया था.

आरोपी पिता ने उसी समय अपना जु्र्म कबूल कर लिया था और सेशन कोर्ट ने केस की सुनवाई के बाद आरोपी पिता को उम्र कैद की सजा सुनाई थी.

पिछले सोमवार को अपराधी पिता की अपील पर सुनवाई करते हुए बांबे हाईकोर्ट ने उसकी अपील को खारिज कर दिया है और जस्टिस आर के देशपांडे और एम जी गिरातकर ने कहा कि 'यह बहुत गंभीर केस है, जब एक नाबालिग का रक्षक ही उसके साथ ऐसा करता है तो पीड़िता के पास अपने बचाव के लिए कुछ नही बचता है.'

अदालत ने इस केस पर कड़ा रूख अपनाते हुए सजा में किसी भी प्रकार का बदलाव करने से मना कर दिया है और उम्र कैद की सजा की सजा को बरकरार रखा है.